पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५२७

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वारन हेस्टिंग्स

HTRATHI . 4" वारन हेस्टिंग्स २५६ लिला है कि-"हैनवे ने कोई लगान नियत न कर रखा था, बल्कि जिस समय जिस ज़मींदार या रय्यत से जितना चाहता था, अपने कलक्टरों द्वारा वसूल कर लेता था। इलाके भर के अन्दर जो लोग अदा करने में असमर्थ होते थे उन्हें श्राम तौर पर कैद और कोड़ो की सज़ा दी जाती थी। लोग अपने घर बार और गाँव छोड़ छोड़ कर निकल गए । बहुतों को इतना दिक किया गया कि उन्हें अपने बच्चे तक बेच देने पड़े।"* मिल लिखता है कि कम्पनी का एक मुलाजिम कमान एडवर्ड्स सन् १७८० में इस इलाके को देखने के लिए गया। उसने देखा कि देश के बहुत कम हिस्से में खेती की गई थी, श्रावादी बहुत कम रह गई थी और जो इने गिने आदमी उस इलाके में रह गए थे वे अत्यन्त दुखी दिखाई देते थे। मिल यह भी लिखता है कि जिस समय करनल हैनेवे ने नवाब के यहाँ जाकर नौकरी की, उस समय हैनेवे के जिम्मे कर्जा था, किन्तु तीन साल के अन्दर कर्जा अदा करने के बाद उसके पास करीब ४५,००,००० रुपए नकद मौजूद थे। नवाब ने इन अत्याचारों की खबर सुनकर सन् १७८१ में har _ the country, front zers flourishing state ___bren reduced to misery und desolation , that the vert levred, not according to ans- fired ruic, hutneurdung to the pleasurn of the Cole or th imprisonments and scourLungs, for entorcing parment, were common 11 every part of the countri , that emigrations of the people next frequent and tbat many of them were so distressed as to he under thr RPPSuth . selling their children '-Mill Book v, Chapter 8