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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५५

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वे और हम

वे और हम कर मार डाला जाता था । औरतों की टाँगों को सरे बाज़ार शिकओं में कस कर छोड़ दिया जाता था xxx लोगों के दिल अत्यन्त सहत हो गए थे.xxx गाँव के लोगों के मकान झोपड़े होते थे जिन पर फूस छाया हुआ होता था।xxx लन्दन में मकान अधिकतर लकड़ी और प्लासटर के होते थे, गलियाँ इतनी गन्दी होती थी कि बयान नही किया जा सकता । शाम होने के बाद डर के मारे कोई अपने घर से न निकलता था. क्योंकि जो चाहे अपने ऊपर के कमरे से खिड़की खोल कर बेखटके गन्दा पानी नीचे फेक देना था !xxx लन्दन को गलियों में लालटेनों का कहीं निशान न था । उच्च श्रेणी के लोगों में सदाचार की आमतौर पर यह हालत थी कि उनमें यदि कोई भी मनुष्य माता था तो लोग यही समझने थे कि किसी ने ज़हर देकर मार डाला XXX सारे देश पर दुराचार की एक बाढ आई हुई थी।" विचार स्वातंत्र के विषय में ड्रेपर लिखता है- ऑक्सफोर्ड की विद्यापीठ ने यह प्राज्ञा दे दी कि बकेनन, मिलटन और बेक्सटर की राजनैतिक पुस्तके स्कूलों के आँगनों में खुले जला दी जायें।XXX राजनैतिक या धार्मिक अपराधों के बदले में जिस तरह की सख्त सजाएँ दी जाती थी उन पर विश्वास होना कठिन है । लन्दन में टेम्स नदी के पुराने टूटे हुए पुल पर इस तरह के अपराधियों के डरावने सिर काट कर लटका दिए जाते थे, इसलिए कि उस भयङ्कर दृश्य को देख कर जन