पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५६

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रयश सामाम्य कानून के विरुद्ध जाने से रुके रहें । उस समय की उदा- रता कर अन्दाज़ा उन्म एक कानून से लगाया जा सकता है, जो 5 मई सन् १६८५ को स्कॉटलैण्ड की पार्लिमेण्ट ने पास किया। कानून यह था कि जो कोई मनुष्य सिवाय बादशाह की सम्प्रदाय के दूसरी किसी ईसाई सम्प्रदाय के गिरजे में जाकर उपदेश देगा या उपदेश सुनेगा, उसे मौत की सजा दी जायगी, और उसका माल असबाब जब्त कर लिया जायगा । इस बात के काफ़ी से ज़्यादा सुबूत हमारे पास मौजूद हैं कि इस तरह के निन्दनीय भाव केवल कानूनों के अक्षरों में ही बन्द न रह जाते थे।xxx स्कॉटलैण्ड में कवेनेण्टर ( एक ईसाई सम्प्रदाय ) लोगों के घुटनों को शिकज्ञों के अन्दर कुचल कर तोड़ दिया जाता था और वे दुःख से पड़े चिल्लाते रहते थे; स्त्रियों को लकड़ियों से बाँध कर समुद्र के किनारे रेत पर छोड़ दिया जाता था और धीरे धीरे बढती हुई लहरें उन्हें बहा ले जाती थीं, केवल इस अपराध में कि वे सरकार के बताए हुए गिरजे में जाने से इनकार करती थीं, या उनके गालों को दाग़ कर उन्हें जहाज़ों में बन्द करके जबर- दस्ती गुलाम बनाकर अमरीका भेज दिया जाता था !xxx राजकुल की स्त्रियाँ यहाँ तक कि स्वयं इङ्गलिस्तान की मलका तक स्त्रियोचित दयाभाव और मामूली मनुष्यस्व तक को भूल कर गुलामों के इस क्रय-विक्रय के नारकीय व्यापार मे हिस्सा लेती थीxxx."

  • "The Peasant's cabia was made of reeas or sticks plastered