पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५७१

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पहला मराठा युध्द

पहला मराठा युद्ध २६५ एक ज़बरदस्त सेना तैयार कर दी जावेगी, जिसके द्वारा महाराष्ट्र, बल्कि सारे भारत में तुम्हारा प्रभाव थोड़े ही दिनों के अन्दर सर्वोपरि हो जावेगा। इस चाल के ज़रिये अंगरेज़ उससे राघोबा और अपने दोनों बन्धकों को छुड़ा लेना चाहते थे। अन्त में माधोजी, राघोबा और अंगरेजों के बीच गुप्त सन्धि , होगई, जिसमें तय हुआ कि बालक माधोराव सींधिया और . नारायन जिसकी आयु उस समय पाँच साल की राघात्रा के साथ थी, पेशवा की मसनद पर कायम रहे. उसी के नाम के सिक्के ढलते रहें, राघोबा का बेटा बाजीराव जिसकी आयु चार साल की थो, पेशवा का दीवान नियुक्त हो, माधोजी नाबालिग दीवान के नाम से शासन का सारा काम करे और राघोवा को पेशवा दरवार से बारह लाख सालाना पेन्शन पर झाँसी भेज दिया जावे। इसके अलावा अंगरेजों ने भडोच का ज़िला माधोजी को और ४१,००० रूपए नकद उसके श्रादमियों को देने का वादा किया। स्वार्थान्ध माधोजी ने अपने स्वामी पेशवा के साथ विश्वासघात करके राघोबा और दोनों अंगरेज़ बन्धको को चुपके से छोड़ दिया। राघोबा फिर अंगरेजो से जा मिला । इसके थोड़े ही दिनों के अन्दर अंगरेजों ने माधोजी सोधिया के साथ ठीक वैसा ही बर्ताव किया, जैसा वे बंगाल में श्रमीचन्द से लेकर मीर जाफ़र तक एक एक देशघातक के साथ कर चुके थे; फिर भी उस समय भारत के अन्दर कम्पनी की सत्ता के जमने में माधोजी ने ज़बरदस्त मदद दी।