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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरजी राज ने अपना वह तमाम इलाका, जो थोडे दिनों के लिए अगरेजों के हाथों में चला गया था, फिर से विजय कर लिया। किन्तु जिस समय हैदर अपनी तमाम सेना सहित मैसूर राज की पूर्वी सरहद पर था, अंगरेजों ने एक नई सेना पीछे की ओर से हैदरअली के पच्छिमी इलाके मंगलोर पर हमला करने के लिए भेज दी। इस सेना ने हैदरअली को गैर मौजूदगी में एक बार श्रासानी ले मंगलोर पर कब्जा कर लिया। मंगलोर विजय की खुशी में फिर एक लो एक तो मद्रास के किले से छोड़ी गई। हैदरअली को अब दो ओर से अंगरेजों का मुकाबला करना पड़ा। सामने की ओर जनरल स्मिथ और करनल वुड की सेनाएँ और पीछे की ओर बम्बई की लेना। मंगलोर के पतन की ख़बर पाते ही हैदर ने अपने बेटे टीपू को तीन हज़ार सवार देकर मंगलोर की ओर भेजा। टीपू के पीछे पीछे हैदर खुद थोड़ी सी सेना लेकर मंगलोर की ओर रवाना हुआ। बाकी सेना उसने अपने सम्बन्धी मखदूम के अधीन स्मिथ और वुड के मुकाबले के लिए पूर्वी सरहद पर छोड़ दी। जनरल स्मिथ और करनल वुड ने हैदर की गैर हाज़िरी से । पूरा लाभ उठाया। जनरल स्मिथ ने एक छोटा जनरल स्मिथ का सा किला इस समय एक बडी सुन्दर चाल द्वारा चाल और उसका जवाब मखदूम के आदमियों से ले लिया। स्मिथ ने अपने एक हरकारे को मखदूम के हरकारों की सी पोशाक पहनाई । उसके हाथ मखदूम का एक जाली पत्र किलेदार