पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६०३

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हैदरअली

हैदरअली ३२७ दी और उनसे कह दिया कि तुम लोग अगर चाहो तो नौकरी छोड़ कर जा सकते हो। किन्तु उन सब ने 'इंजील और सलीब हाथ में लेकर' हैदर की वफ़ादारी की कसम खाई । वे सब फिर से नौकर रख लिए गए। अंगरेजों के जासूस जब फिर इन लोग के पास पहुंचे तो अधिकांश यूरोपियन सिपाहियों ने यह एतराज़ किया कि हम 'इंजील और सलीब हाथ में लेकर' सुलतान को वफ़ादारी की कसम खा चुके हैं । इस पर अंगरेजों ने यूरोपियन ईलाई पादरियों के दस्तखत सं एक फ़तवा लिखवा कर उसकी नकले हैदर के यूरोपियन नौकरों में बटवा दी, जिसमें लिखा था कि-"जो कसमें 'इंजील और सलीब लेकर' भी मुसलमानों के सामने खाई जावे, ईसाई उनके पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं।" एक फ्रांसीसी लेखक, जो उस समय हैदर की सेना में मौजूद था, लिखता है कि इस षड्यन्त्र को सफल करने के लिए अंगरेजों मे गुप्त हत्या और जालसाजी से भी काम लिया। अंगरेजी जासूसों के पास हैदर के फ्रांसीसी सिपाहियों को फोड़ने के लिए इस समय पुद्दुचरी के झांसीसो गवरनर का एक जाली ख़त भी मौजूद था। इस पर भी हैदर के यूरोपियन मुलाजिमों में से, जिनमें अधिकांश फ्रांसीसी थे, बहुत कम ने हैदर के साथ विश्वासघात किया । जिन यूरोपियन पादरियों ने ऊपर लिखे फ़तवे पर दस्तखत किए उनमें से अनेक हैदर की प्रजा थे और हैदर ने उनके साथ अनेक रिश्रायते कर रक्खी थीं। इस समय तक यानी सन् १७६८ के अन्त से पहले पहले हैदर