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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज करीब सात लाख रुपए मोहम्मद अली से और वसूल किए । तीन महीने तक सर आयर कूट मद्रास में रह कर हैदरअली से लड़ने की केवल तैयारी करता रहा। उसके बाद वह अपनी विशाल सेना सहित हैदरनली के मुकाबले के लिए बढ़ा। हैदरअली उस समय मद्रास के नीचे के बन्दरगाहों और किलों को फतह कर रहा था। दो बार जनरल कूट अपनी विशाल सेना लेकर हैदरअली के मुकाबले के लिए बढ़ा। दोनों बार कई कई जगह कूट और हैदरअली की सेनाओं में संग्राम हुए । किन्तु दोनों बार जनरल कूट को चेहद नुकसान उठाकर मद्रास लौट आना पड़ा। इस बीच और अधिक सेना बंगाल से कूट की मदद के लिए भेजी गई । अन्त में तीसरी बार जनरल कूट हैदरअली के मुकाबले के लिए बढ़ा। इस बार पारनी की प्रसिद्ध लड़ाई में हार खाकर और लाचार होकर सितम्बर सन् १७८२ में पर श्रायर कूट को अपनी जान बचाकर बंगाल लौट जाना पड़ा। इस तमाम समय में हैदरअली की सेना किलों पर किले और इलाकों पर इलाके विजय करती बढ़ी चली आ रही थी और कहीं पर भी अंगरेजी लेना हैदरअली की उमड़ती हुई बाढ़ को न रोक सकी। इन तमाम लड़ाइयों में दो छोटी सी, किन्तु मनोरंजक घटनाएँ बयान करने के काबिल हैं। पहली घटना तरकाटपल्ली की है । तरकाटपल्ली एक छोटा सा किला था, जिस पर हैदरअली की सेना ने दो मनोरञ्जक कब्जा कर लिया था। त्रिचन्नपल्ली से अंगरेजों घटनाएँ ने अपनी सेना का एक दस्ता इस किले पर