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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज को अचानक किले पर हमला किया। केवल नायक, बीस सिपाही और कुछ स्त्रियाँ किले में रह गई थीं। अंगरेजी सेना के हमले को खबर पाकर नायक ने किले का फाटक बन्द करवा दिया, बड़े बड़े पत्थर अँधेरे में किले की फनील पर रखवा दिए और स्त्रियों ने बहुत सा गोबर और पानी घोलकर बड़े बड़े बरतनों में खोलाना शुरू किया। जिस समय अंगरेज़ी सिपाही दीवारों पर चढ़ने लगे, स्त्रियों ने चिल्ला कर पत्थर नीचे की ओर लुढ़का दिए और खौलता हुआ गोवर का पानी अंगरेजी सेना के सर पर डालना शुरू किया। भीतर के बीस सिपाहियों ने भी अपनी बन्दको का उचित उपयोग किया। अंगरेज सिपाहियों को एक बार घबरा कर नीचे उतर आना पड़ा। इतने में किले की वह सेना जो बाहर गई हुई थी, आवाज़ सुन कर किले की ओर लपकी। अंगरेजी सेना के बचे हुए श्रादमियों को जान बचा कर भाग जाना पड़ा। एक बार साफ़ मालूम होता था कि हैदर अली दक्खिन भारत से अंगरेजों को निकाल कर बाहर कर देगा। __ हैदरअली की नाना फड़नवीस पूना में बैठा हुआ यह सब अचानक मृत्यु सुसमाचार सुन रहा था और इन्हीं श्राशाओं के आधार पर सालबाई के सन्धि पत्र पर दस्तखत करने से इनकार कर रहा था। जिस समय गायकवाड़, सींधिया और भोसले तीन तीन ज़बरदस्त मराठा नरेश मराठा मण्डल और अपने देश दोनों के साथ विश्वासघात कर चुके थे, और निज़ामुलमुल्क भी अंगरेजों की चालों में फंस चुका था, उस समय इन विदेशियों के विरुद्ध