पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६३३

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३५३
हैदरअली

हैदरअली ३५३ जलसेना थी। उसके जलसेनापति अलीरजा ने मलद्वीप नामके करीब बारह हज़ार छोटे बड़े टापुओं को विजय कर उन्हें हैदरअली के राज में मिला लिया था। हैदरअली लिखना पढ़ना बिलकुल न जानता था। एक मुसल- मान इतिहास लेखक लिखता है कि उसने फारसी ॥ अक्षरों में अपना नाम लिखने का प्रयत्न किया। बड़े परिश्रम से वह अपने नाम का कंवल पहला अक्षर 'हे' सीख पाया। किन्तु इस 'हे' को भी वह सदा उलटा और गलत लिखा करता था। यही उसके दस्तखत थे। इस पर भी तमाम भारतीय और विदेशी इतिहास लेखक मुक्त कण्ठ से स्वीकार करते हैं कि उसकी बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता, नीतिज्ञता और शासन प्रबन्ध में उसकी योग्यता सभी बड़े ऊँचे दरजे की थी, वीरता और युद्ध कौशल में वह अपने समय में अपना सानी न रखता था। धार्मिक पक्षपात या तपास्सुब का उसमें निशान तक न था। ___राज की ऊँची से ऊँची पदवियाँ उसने हिन्दुओं उसको धामिक को दे रक्खी थीं। उसके बड़े से बड़े मंत्री हिन्द्र उदारता थे। मैसूर के जिन बागी सामन्तो को उसने परास्त किया उनकी गद्दियाँ या तो उन्हीं को वापस कर दी और था दूसरे हिन्दू नरेशों को उनकी जगह बैठा दिया। अपनी हिन्दू ओर मुसलमान प्रजा के साथ वह एक समान उदार व्यवहार रखता था। उसने अनेक हिन्दू मन्दिर बनवाए और अनेक मन्दिरों को जागीरें अता की। हाल में उस समय के इतिहास की खोज द्वार