पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६३७

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३५७
हैदरअली

हैदरअली ३५७ जमादार था और पच्चीस साल तक हैदरअली की खिदमत कर चुका था। श्रामा मोहम्मद को हैदरअली ने पेन्टन और जागीर देकर एक महीना हुआ बिदा कर दिया था। हैदरशा ने अपनी सफाई में आगे बढ़कर अर्ज किया-“जहाँपनाह ! यह बुढ़िया और उसकी बेटी दोनों वदचलन है।" हैदरअली फौरन महल की श्रोर लौट पड़ा और बुढ़िया को अपने साथ ले गया। महल पहुँच कर जब लोगों ने हैदराली से प्रार्थना की कि इस बार हैदरशा को क्षमा कर दिया जाय तो हैदरअली ने उत्तर दिया- "मैं श्राप लोगों की प्रार्थना स्वीकार नहीं कर सकता ! किसी बादशाह और उसकी प्रजा के बीच के पत्र व्यवहार को रोकने से बढ़कर कोई गुनाह हो ही नहीं सकता । बलवानों का कर्तव्य है कि निर्वलो का इन्साफ करें। खुदा ने निर्बलों की रक्षा के लिए ही बादशाह को बनाया है और जो बादशाह अपनी प्रजा के ऊपर जुल्म होने देता है और जुल्म करने वाले को दण्ड नहीं देता वह इस योग्य है कि उसकी प्रजा का प्रेम और विश्वास उस पर से हट जावे और प्रजा उसके खिलाफ बगावत करने लगे।"* हैदरअली ने सब के सामने अपने जमादार हैदशा के दो सौ कोड़े लगवाए । साथ ही उसने एक सवार उस बुढ़िया के साथ प्रागा मोहम्मद के रहने की जगह भेजा और हुकुम दिया कि यदि लड़की श्रागा मोहम्मद् के यहाँ मिल जाय तो उसे उसकी माँ के हवाले कर दिया जाय और भागा मोहम्मद का सर काट कर मेरे

  • History of Hyder Shah By MM ID L Tp 20