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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६६

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश की कोशिश की गई हो-यदि कोई तरीका अधिक से अधिक निष्ठुर, ऋर, गर्वयुक्त और माशून्य हो सकता था, तो वह तरीका है जिन्पसे भारतवर्ष की अनेक देशी रियासतों का शासन देशी राजाओं के हाथों से छीन छीन कर ब्रिटिश सत्ता के चंगुल में इकट्ठा कर दिया गया है .xX जब कभी हम दूसरी कौमों के सामने अंगरेज़ क्रोम की सच्चाई और ईमानदारी का जिक्र करते हैं तो वे भारत की ओर इशारा करके खूब हिकारत के साथ हमारा मजाक उड़ा सकते हैं ! XXX जिस तरीके पर चल कर, लगातार सौ साल ग्ये ऊपर तक, देशी गजानों से उनके इलाके छीने जाते रहे, और वह भी न्याय और औचित्य की पवित्रतम आड़ में, उस तरीके से बढ़ कर दूसरों को यन्त्रणा पहुँचाने का तरीका राजनैतिक या धार्मिक किसी मैदान में किसी भी जालिम हुकूमत ने कभी पहले ईजाद न किया था; संसार में उसके मुकावले की कोई दूसरी मिसाल नहीं मिल सकती।"

  • " the mode by which the East India Company has possesse

self of Hindostan, as the most resulting and un-cbusthan that can possip econcerved . Ifever there was one systern more Machravellan. mol ppropriative of the show ofjustice where the basost inJustice was attempta tore cold, cruel, naughty and unrelenting than another, it is the systernt hcn the Governmenr of the different states of India has been wrested trol Ye hands of their respective princes and collected into the grasp ot ti Inthsb power Whenever we talk to other nations of British faithan itegraty, they may well point to India in derive scorn . The syster hich for more than a century, Ras steadily at work to strip the nativ Inces of their dominions, and that too under the most sacred pleas of rigi 1d expediency, is a systen of-tortuxe more exquisite than regai or spiritua