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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६५

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वे और हम

वे और हम करके कोई भी सदाचार को समझने वाला मनुष्य काँप उठेगा और कोई भी बच्चा ईसाई जिनका धृणा के साथ निषेध किए बिना नहीं रह सकता।" एक और अंगरेज विद्वान लिखता है- ___"कम्पनी ने बंगाल का राज या अरकाट का राज या दूसरे किसी भी प्रान्त का राज और किन उपायों से प्राप्त किया, सिवाय झूठी कसमें खाने और जालसाज़ियाँ करने के ?" विलियम हॉविट नामक एक अंगरेज़ लिखता है--- "जिस तरीके से ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने हिन्दोस्तान पर कब्जा किया उससे अधिक बीभत्स और ईसाई सिद्धान्तों के विरुद्ध किसी दूसरे तरीके की कल्पना तक नहीं की जा सकती xxx यदि कोई कुटिल से कुटिल तरीका हो सकता था जिसमें नीच से नीच अन्याय की कोशिशों पर न्याय का बढिया मुलम्मा फेरने - "Some native sage has compared the Europeans in India to dimals or white ants, which from dark or scarcely visible beginnings, pursue their determined objects insidiousiy and silently, destroying green forest trees and in their excavated trunls building edifices, communicating by numerous galieries with the hardened clav Pyramids, far and near, that denote where formerly fourished tne tar-spre-ding crdars Attacking everything, devou- ring everything, they underminend sup and desolate The smile Is Tota very flattering ore, though it is not in some measure without its aptitude either, After all, however, there can be no question that in our early connection with India, there was murh, from the contemplation of which, the moralist will shrink, and the Christian protest against, with abhorrence" The Calcutta Review, vol 11, (1847), p 226 + "How did the Company acquire Bengai, but by perjury and torgary? Or Arcot, or any other principality " The British Friend of India--- March, 1843