पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३८३
लॉर्ड कॉर्नवालिस

लॉर्ड कार्नवालिस ३८३ उस समय एक मोटी किस्म के कपड़े को कहते थे जो खेमे बनाने के काम में श्राता था। __अगले लाल यानी सन् १७६३ ईसवी में कॉर्नवालिस ने फ्रांसीसियों के तमाम भारतीय इलाकों पर हमला करके उन्हें अंगरेज कम्पनी के अधीन कर लिया। इसके बाद भारत के अन्य नरेशों के साथ कॉर्नवालिस के ___ व्यवहार को वयान करना बाकी है। दिल्ली का कॉर्नवालिस और र सम्राट अभी तक कहने के लिए समस्त भारत दिल्ली सम्राट का अधिराज था । अंगरेज़ कायदे के अनुसार उसकी प्रजा थे । वारन हेस्टिग्स के समय तक बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी के लिए वे दिल्लो दबार को सालाना खिराज भेजा करते थे। हेस्टिंग्स ने माधोराव सीधिया के साथ मिलकर दिल्ली सम्राट को मराठों के हवाले करवा दिया, और कलकत्ते से दिल्ली खिराज जाला रुक गया। उसके बाद सर जॉन मैक्फरसन केवल अस्थायी गवरनर जनरल था। इस दरमियान दिल्ली से खिराज की माँग बराबर आती रहो। कॉर्नवालिस के समय में सम्राट की ओर से फिर माँग आई। कॉर्नवालिस ने अब सदा के लिए खिराज देने से इनकार कर दिया। इसलिए नहीं कि दिल्ली सम्राट ने इस बीच अंगरेजों का कोई अहित किया हो, बल्कि केवल इसलिए क्योंकि दिल्ली का सम्राट अब काफ़ी बलहीन हो चुका था और अंगरेज़ अपना वल काफी बढ़ा चुके थे। सम्राट दरबार में इतनी हिम्मत न थी कि सेना भेजकर कलकत्ते से खिराज वसूल