पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६६६

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३८४
भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज ३८४ नवाब अवध कर सके। इस तरह बङ्गाल, बिहार और उड़ीसा के प्रान्त अब साफ साफ़ दिल्ली साम्राज्य से कटकर अंगरेज़ कम्पनी के स्वायत्त शासन में आ गए। अवध के नवाब के साथ भी कॉर्नवालिस का सलूक इसी तरह का था। कम्पनी की एक विशाल सेना कॉर्नवालिस और जिसके सब अफसर अंगरेज़ थे, जबरदस्ती अवध के ऊपर मढ़ दी गई थी। नवाब को का खर्च देना पड़ता था। वारन हेस्टिग्स ने नवाब से वादा किया था कि भविष्य में जब ज़रूरत न रहेगी तो यह सेना अवध वापस बुला ली जायगी। नवाब ने अब उस वादे को पूरा करने लिप कॉर्नवालिस से प्रार्थना की। किन्तु इतिहास लेखक मिल लिखता है :- मोकि उस समय अवध के सामने कोई खास खतरा न था, और ने रुपए नदार से कम्पनी को लेने का हक था उससे ज्यादा तहगत इस सेना पर नवाब का खर्च होता था, फिर भी कॉर्नवालिस अपने इस निलय पर कायम रहा कि सेना तहगढ़ से न हटाई जावे ।"* इस प्रकार ब्रिटिश साम्राज्य पिपासा को भविष्य में शान्त करने के वास्तविक उद्देश से पचास लाख रुपए सालाना से ऊपर बाड जबरदस्ती कम्पनी के मित्र अवध के नवाब से वसूल किया जाता रहा।

  • Mril, vol Vp 222