लॉर्ड कॉर्नवालिस ३६५ दिवाले से बचाने का केवल एक ही उपाय हो सकता था। वह यह था कि नए सिरे से बन्दोबस्त करके सदा के लिए एक मुनासिब लगान तय कर दिया जाय । कॉर्नवालिस से दस साल पहले कुछ अंगरेज अफसर यह सलाह दे चुके थे और कम्पनी के डाइरेक्टरों ने कॉर्नवालिस को भारत भेजते समय उसे इस्तमरारी बन्दोबस्त करने की हिदायत कर दी थी। इस इस्तमरारी वन्दोवस्त के साथ साथ कॉर्नवालिन ने यह कानून भी पास कर दिया कि जिन जिन जमींदारों के जिम्में लगान बाकी है उनकी जमींदारियाँ फौरन नीलाम कर दी जावें और ज्योही श्राइन्दा किसी के जिम्मे बकाया निकले, त्योंही उसकी ज़मोन नीलाम कर दी जाय और ऐसे मौकों पर बड़ी बड़ी जमींदारियों के टुकड़े करके उन्हें अलग अलग नीलाम किया जाय । एक अंगरेज लेखक लिखता है कि कॉर्नवालिल के इस्तमरारी बन्दोबस्त के दस साल के अन्दर बंगाल भर की तमाम ज़मींदारियों को शकले और उनके मालिक सब बदल गए । इस प्रकार कॉर्नवालिस ने इस्तमरारी बन्दोबस्त के बहाने बंगाल के हजारो पुराने घरानों और तमाम बड़ी बड़ी जमीदारियों का खात्मा कर दिया और उसकी जगह नए छोटे छोटे निर्बल और खुशामदी जमींदार पैदा कर दिए !* tantstration at the Love Prama
- Memoiundum on the Rerenur
____ of Bengal, it | Maneile. 9