४० भारत में अंगरेजी राज गिरोह की इस कार्य के लिए नियुक्त किया था।" और कोन की राय है--निस्सन्देह साधोजी को मौत चाहने के लिए नाना के पाल काफ़ी वजह थी!" ___ इसमें सन्दह नहीं माधोजी सोंधिया को मरवा डाला गया। किन्तु नाना पर उसका दोष मढ़ना साफ झूठ और अन्याय है ! न नाना के पास उस समय माधोजी की मौत चाहने के लिए कोई वजह थी और न नाना का चरित्र इस ढङ्ग का था। इसके खिलाफ अंगरेजों के पास “माधोजी की मौत चाहने के लिए निस्सन्देह काफ़ी वजह थी ?” और मैलेट और मॉस्टिन दोनों की राशि भी एक थी। ग्रॉण्ट डफ़ साफ़ लिखता है :- _ "साँधिया की शक्ति और उसकी महत्वाकाँक्षा, उपका पूना जाना और सबसे बढ़ कर देश वासियों में श्राम तौर पर उसकी इज्जत, इन सब बातों से अंगरेज माधोजी पर शक करने लगे थे; इसलिए अंगरेज़ों के कागजों में हमें इस बात के हार बार सुबूत मिलते हैं कि वे माधोजी की हरकतों को बड़े शौर और जलन के साथ देख रहे थे।"* ग्रॉण्ट डफ से ही यह भी पता चलता है कि माधोजी के पूना जीवन पहुँचने के बाद ही दिल्ली के एक हिन्दोस्तानी से अंगरेजों को अखवार में एक लेख निकला था कि दिल्ली के सम्राट ने पेशवा और माधोजी दोनों के नाम लाभ 13 jpowc." and amhion, hrs marcti to Poon.s, and above all the general opinion ut the country, Jed the English to suspect 12m, and we accordingly tind in their recorris varicus proots of watchful calousy, '-GraniDur
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६९०
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