सर जॉन शोर चाहिए, यदि उन्हें पैर रखने की जगह मिल गई तो सारा देश खतरे में पड जावेगा।" ___ माधोजी को अब नाना के ये शब्द बार बार याद आते थे । वह अपने पिछले कृत्यों पर पछता रहा था और कम्पनी सं शाही खिराज वसूल करने के सम्बन्ध में सम्राट के पत्रों पर और इस सारी स्थिति पर नाना से सलाह करने के लिए पूना आया हुआ था। दिल्ली के सम्राट, माधोजी सोंधिया और पेशवा, तीनों में इस प्रकार मेल हो जाना और माघोजी का तीनों को ओर से सेना लकर शाही खिराज वसूल करने के लिए कलकत्ते पर चढ़ाई करना उस समय कम्पनी के लिए अत्यन्त आपत्तिजनक हो सकता था। जब कि माधोजी सींधिया पूना में पेशवा और नाना फड़नवीस ___ के साथ सलाह कर ही रहा था, फरवरी सन् माधोजी सीधिया १७६४ को पूना के निकट बनौरी नामक स्थान की हत्या पर अचानक माधोजी मीधिया को मृत्यु होगई । इतिहास लेखक प्राण्ट डफ इस मृत्यु का सबद यह लिखता है कि माधोजो को अचानक "ज़ोर का बुखार" आगया। किन्तु माधोजी के जीवन चरित्र का अंगरेज रचयिता कीन कुछ और भेद खोलता है । वह 'तारीखे मुज़फ्फरी' के आधार पर लिखता है.--- ___ "मृत्यु से पहली शाम को एक हथियारबन्द गिरोह ने माधोजी को रास्ते में घेर कर मारा!"* कीन लिखता है-"नाना ने इस
- " Madhoji had heen mar lund the thenuuy beforr hr in urmerlyu
-Keent'. Madhort Standhtel