पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७१

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वे और हम

वे और हम सच्चाई के साथ कही गई है किxxxपराजित प्रजा को अपने बुरे से बुरे और अय्याश से अय्याश देशी नरेशों के बड़े से बड़े जुल्म इतने घातक मालूम न होते थे जितने कम्पनी के छोटे से छोटे जुल्म " पुस्तक का सार इससे अधिक अंगरेज़ विद्वानों की राय इस विषय में देने की ज़रूरत नहीं है। सन् १७५७ से १८५७ तक सौ साल के कम्पनी के शासन में हिन्दोस्तानी सिपाहियों का अपने देश और देशवासियों के खिलाफ जाँनिसारी के साथ विदेशी अफसरों की फरमाबरदारी करना, हिन्दोस्तानी नरेशों का अंगरेजों के साथ सन्धियों की शतों को ईमानदारी से निबाहना, अंगरेजों का बार बार जान बूझ कर अपनी सन्धियों और वादों को तोडना, देशी रियासतों के यूरोपियन नौकरों का पद पद पर अपने मालिकों के साथ विश्वासघात करना, अंगरेज़ रेज़िडेण्टों का देशी दरबारों में रह कर वहाँ फूट इलवाना, रिशवतें देना, गुप्त साज़िशे करना, हत्याएँ कराना और जाल साज़ियाँ करना, देशी नरेशों का कम्पनी के साथ 'सन्धि और मित्रता' के जाल मे एक बार फँस कर उसमे बिना अपना मान और सर्वस्व दिए बाहर

the Government of the Last India Company in India was tainted from the very first with nighty vices, for generation after generation the great arm and object of the servants of the Company, from the high, civil and military functionaries downwards was to squeere as large as possible a fortune out of the country as quickly as might be, and turn ther backs upon it for ever, so soon as that ohject had been attained, In perfect truth has it hren sand that the subjugated race found the little finger of the Company thicker than the lons of the worst and most dissolute of their native princes "-Dr Russell