अंगरेजों की साम्राज्य पिपासा किन्तु अंगरेजों और फ्रांसीसियों के चरित्र में प्रारम्भ से ही बहुत बड़ा अन्तर दिखाई देता रहा है। जव कि अंगरेज़ों और झांसीसी समस्त संसार को स्वतंत्रता, समता फ्रांसीसियों के और बन्धुत्व का उपदेश दे रहे थे, ठीक उस समय उनके पड़ोसी अंगरेज़ इन सिद्धान्तों के प्रचार को रोकने का भरसक प्रयत्न कर रहे थे। वजह यह थी कि इंगलिस्तान के शासकों को साम्राज्य का और वहाँ के पूंजीपतियों को दूसरे देशों से धन बटोरने का काफी चसका पड़ चुका था। इंगलिस्तान के साम्राज्य पिपासी शासकों और धन लोलुप पूंजी पतियों को इस बात का डर था कि यदि इस तरह के विचार संसार में फैल गपः तो हमारी अपनी इष्ट सिद्धि में बहुत बड़ी बाधा पड़ेगी। जिस अंगरेज विद्वान एडमण्ड बर्क ने इंगलिस्तान की पालिमेण्ट के सामने इस योग्यता के साथ वारन हेस्टिंग्स के पाप कृत्यों को खोला था, उसी वर्क को अब वहाँ के शासकों ने १५०० पाउण्ड सालाना की पेन्शन देकर उससे मांस की राजक्रान्ति के खिलाफ एक जबरदस्त पुस्तक लिखवा दी, ताकि मांस की आजादी का रोग इंगलिस्तान में फैलने न पाए। इंगलिस्तान का प्रधान मन्त्री पिट हद दर्जे का माम्राज्य लोलुप था ! फ्रांस और फ्रांसीसी विचारों का वह कट्टर शत्रु था। उसी की इच्छानुसार भारत का प्रत्येक अंगरेज अफसर यहाँ के देशी “ These are results rohci will not Pa5s Away they defh evers protocol constitutional theory, or wito of despotic power."--JoserveMaz.ta!
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