भारत में अंगरेजी राज दरवारों में फ्रांसीलियों, उनके देश और उनके विचारों को बदनाम करने की हर तरह कोशिश करता रहता था। वेल्सली को भी फ्रांसीसी कौम और फ्रांसीसी विचारों से हद दर्ज का द्वेष था इसकी एक वजह यह भी बताई जाती है कि इंगलिस्तान में वेल्सली ने एक फ्रान्सीसी स्त्री अपने घर में रख रक्खी थी, जिससे वेल्सलो के कई बच्चे हुए। बच्चे होने के बाद वेल्सली ने उसके साथ बाज़ाब्ता विवाह किया, किन्तु बाद में दोनों में कुछ अनबन हो गई और उस स्त्री ने वेल्सली के साथ भारत आने से इनकार कर दिया। जो हो, वेल्सली फ्रांसीलियों से इतना डरता था कि भारत आते ही उसने ४ सई सन् १७६ को यहाँ के जंगी लाट सर आलफेड क्लार्क को एक "प्राइवेट और गुप्त” पत्र द्वारा यह साफ़ साफ़ आदेश दिया कि-कलकत्ता, चट्टग्राम, चन्द्रनगर, चुंचड़ा इत्यादि से और बाकी तमाम ब्रिटिश भारतीय इलाकों से एक एक फ्रांसीसी को और फ्रांसीसियों से सम्बन्ध रखने वाले समस्त अन्य यूरोप निवासियों तक को चुन चुनकर ज़बरदस्ती यूरोप भेज दिया जाय । मार्किस वेल्सली प्रजा के अधिकारों का इतना पक्का विरोधी था और उसके राजनैतिक विचार इतने अनुदार थे कि स्वयं अपने देश इंगलिस्तान के अन्दर वह मामूली पालिमेण्ट के सुधारों तक के खिलाफ़ था। पिट के समय तक आयरलैंड की एक अलग पालिमेण्ट थी। पिट ने इस उद्देश से कि आयरलैंड को इंगलिस्तान के राज्य में मिला
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