अंगरेजों की साम्राज्य पिपाला किया, इन सब बातों का विस्तृत बयान अलग अलग अभ्यायों में किया जावेगा। इस अध्याय को समान करने से पहले केवल एक बात हम और वता देना चाहते हैं। वह यह कि मार्किस इसाई धर्म प्रचार वेलनली के शुद्ध राजनैतिक उद्देश के अलावा उसका एक उद्देश भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करना भी था। वेल्पली ने भारत आते ही ईसाई धर्म के अनुसार अंगरेजी इलाके के अन्दर रविवार को छुट्टी का मनाया जाना जारी किया। उस दिन समाचार पत्रों का छपना तक कानूनन बन्द कर दिया। कलकत्ते के फोर्ट विलियम में उसने एक कॉलेज की स्थापना की। इस कॉलेज का एक उद्देश विदेशी सरकार के लिए सरकारी नौकर तैयार करना था। वेल्ललो के जीवन चरित्र का रचयिता भार आर. पीयर्स साफ़ लिखता है कि यह कॉलेज भारतवासियों में ईसाई धर्म को फैलाने का भी एक मुख्य साधन था। इस कॉलेज के जरिये भारत की सात भिन्न भिन्न भाषाओं में इझील का अनुवाद करा कर उसका भारतवासियों में प्रचार कराया गया। मार्किल वेल्सली न अपने व्यक्तिगत जीवन में चरित्रवान था और न सार्वजनिक जीवन में अपने से पहले के किसी गवरनर जनरल से अधिक ईमानदार था, फिर भी उसकी इस ईसाई धर्मनिष्ठा के लिए अंगरेज़ इतिहास लेखक प्रायः उसकी प्रशंसा करते हैं। सच यह है कि उसका ईसाई धर्म प्रचार भी राजनैतिक इष्ट सिद्धि का एक साधन मात्र था।
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