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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७२८

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भारत में अंगरेज़ी राज

मारत में अंगरेजी राज यह सजवीज़ भारत में अंगरेजी राज का अस्तित्व कायम रखने के लिए कितनी इस पत्र में भी तजवीज़ को गुप्त जखने पर फिर खूब जोर दिया मरा मार्किस वेल्सली के एक पत्र से मालूम होता है कि इतने पर भी अज़ीमुलउमरा अन्त तक कुछ झिझकतारहा। ए सम्भव है उसकी अात्मा भीतर से उसे दिक की घबराहट करती हो, या सम्भव है कोई और सबब रहा हो । जो हो, उसने निजाम की सेना को बरखास्त करने में दर की। अंगरेजो के लिए इस तरह के मामले में दर खतरनाक हो सकती थी। इसलिए मैलकम और कर्कपैट्रिक ने दूसरी ओर से भी अपना इन्तजाम कर लिया था । उन्होंने निजाम की सेना के अन्द्र भी अपने षड्यन्त्र का जाल पूर रक्खा था। कम्पनी की सेना विना निजाम की सेना के बरखास्त होने का इन्तज़ार किए मद्रास से हैदराबाद के लिए चल पड़ी । कप्तान मैलकम की जीवनी का रचयिता सर जॉन के लिखता है कि-"हमारे सौभाग्य से ऐन मौके पर निजाम की पलटने अपने अफसरों के विरुद्ध बलवा कर बैठीं। क्योंकि उनकी तनखाह चढ़ गई थीं। उन्होंने अपने फ्रांसीसी सेनापति को कैद कर लिया ।" इत्यादि । जॉन के यह नहीं बतलाता कि किन तरीकों से रेजिडेण्ट और उसके असिस्टेण्ट ने निजाम की फौजों को 'ऐन मौके पर" वलवा करने के लिए तैयार

  • Kaye's LateofiMalcolm