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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजो राज सेना इस समय निज़ाम की नौकरी में है उसकी संख्या बढ़ा दी जावे, इत्यादि इसलिए xxx निजाम का इस तरह की कभी कोई इच्छा प्रकट करना तो दूर रहा, उस इस तमाम साजिश का पहले से गुमान तक न था। केवल दगा और लाचारी ने उसे सन्धि पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। इस सबसीडीयरी सन्धि के अनुसार छै हजार हिन्दोस्तानी सिपाहियों की एक नई सेना मय तोपखाने के अंगरेज अफसरों के अधीन निज़ाम के खर्च पर निजाम के राज के अन्दर सदा के लिए कायत कर दी गई और यह तय हुआ कि आइन्दा बिना कम्पनी की इजाजत के निजाम किमी यूरोपियन को अपने यहाँ नौकर न रक्खे । इस प्रकार निजाम पहला भारतीय नरेश था जिसे माकिस वेल्सली ने 'सबसीडीयरी एलाएन्स' के जाल में फाँस कर उसे उसके अपने राज के अन्दर एक तरह का कैदी बना दिया, और जिसे अपने खजाने सं• उस सेना का खर्च बरदाश्त करना पड़ा जिस सेना ने उसे कैद करके रक्खा। इंगलिस्नान के मन्त्रिमण्डल ने हैदराबाद की इस सन्धि पर विशेष पत्र द्वारा हार्दिक सन्तोष प्रकट किया, वेल्सली और उसके और कम्पनी के डाइरेक्टरों ने इनाम के तौर पर साथियों को कम्पनी वेल्सली को बीस साल तक के लिए ५,००० की ओर से इनाम पाउण्ड सालाना की पेनशन प्रदान की। यह पेनशन सन्धि की तारीख १ सितम्बर सन् १७६८ से शुरू की गई।