पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४४७
विल्सली और निजाम

वेल्सली और निज़ाम कर्कपैट्रिक और मैलकम को भी उनकी सेवाओं के लिए इनाम और तकियाँ दी गई। ___ इसके बाद निजाम की हालत इतनी असहाय हो गई कि अजीमुलउमरा की मृत्यु के बाद निजाम की इच्छा के विरुद्ध अंगरेजो ने अपने एक आदमी मीर आलम को उसकी जगह निज़ाम का प्रधान मन्त्री नियुक्त करवा दिया। इस समस्त दगा के लिए एक बहाना यह लिया गया कि अंगरेजों को उस समय मंसीसियों से और टीपू सुलतान से हमले का डर था, और इसलिए उन तमाम शक्तियों को पंगुल कर देना अंगरेजी के लिए आवश्यक था जिनके फ्रांसीसियों या टीपू से मिल जाने की सम्भावना हो। किन्तु एक तो उस समय की समस्त स्थिति को देखने से मालूम होता है कि ये दोनोंडर बिल्कुल झूठे थे, दूसरे यदि इस तरह की कोई आशंकाएँ रही भो हो तो भी गम्भीर सन्धियों को तोड़ कर और गुप्त षड्यन्त्र रच कर दूसरे राज्यों की स्वाधीनता को हरने का यह कोई,न्याय्य वहाना नहीं हो सकता । इस सब का असली कारण था अंगरेजों की वह साम्राज्य पिपामा जिसका पिछले अध्याय में जिक्र किया जा चुका है। ठीक जिस तरह के प्रयल हैदराबाद में किए जा रहे थे, उसी तरह के प्रयत्न उसी समय पूना दरबार में भी हैदराबाद और चल रहे थे। म जुलाई को वेल्सली ने कमान पूना में अन्तर कर्कपैट्रिक के नाम पत्र लिखा, और ठीक उसी दिन उसी विषय का एक पत्र पूना के रेजिडेण्ट को लिखा। किन्तु