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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७६

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश हमला किया। किन्तु उसे भी केवल सात आदमियों सहित जान बचा कर सिन्धु नदी से पीछे लोट जाना पड़ा, और अन्त में किसी भारतवामी के बार मे जख्मी होकर ही उसकी मृत्यु हुई । सिकन्दर का हमला इसके बाद ईसा से ३२६ साल पहले यूनान के जगन प्रसिद्ध विजेता सिकन्दर के भारत पर हमले का समय आता है । पच्छिमी यूरोप से लेकर अफगानिस्तान और बलुचिस्तान तक कोई मुल्फ इस अलौकिक विजेता की सेना के सामने न ठहर सका । उत्तर-पच्छिम की ओर से प्राकर सिकन्दर ने अपनी सेना सहित सिन्धु और झेलम नदियों को पार किया । सिकन्दर को पूरी उम्मीद थी कि वह उत्तर भारत के हरे भरे मैदानों को अपने विशाल साम्राज्य में मिला कर भारतीय महाद्वीप को पार कर पूर्वीय सागर तक जा पहुंचेगा ! भारत की राजनैतिक हालत भी उस समय सिकन्दर के सौभाग्य से काफी बिगड़ी हुई थी, सरहद के ऊपर झेलम के उस पार तक्षशिला के राजा और इस पार पञ्जाब के राजा पौरव मे, जिसे यूनानी पोरस कहते थे, बहुत दिनों से दुशमनी चली आती थी। तक्षशिला का राजा अपने प्रतिस्पर्धा पौरव के खिलाफ सिकन्दर से मिल गया । सिकन्दर ने पौरन से अधीनता स्वीकार कराने के लिए उसके पास दूत भेजे । पौरव ने दूतों को उत्तर दिया कि मैं अपनी सेना सहित युद्ध के मैदान में सिकन्दर और उसकी सेना के साथ बात चीत करूंगा। सिकन्दर की जिस सेना ने झेलम को पार कर पौरब पर हमला किया उसमें तक्षशिला के राजा की भारतीय सेना भी शामिल थी।

  • The Cambriage History of India, vol. 1. pp 330-31

1 The Cambridge History of India, vol. 1,2361