पुराने हमले कुल हमला करने वाली सेना पौरव की मेना से तादाद में कहीं ज्यादह थी । पौरव के दो बेटे मैदान में काम पाए । विजय सिकन्दर की ओर रही। पौरव ज़हमी हो गया और गिरफ्तार होकर सिकन्दर के सामने लाया गया । यूनानी इतिहास लेखक सब इस बात के साक्षी हैं कि पौरव के सौन्दर्य उसकी वीरता और उसके साहस को देखकर सिकन्दर मुग्ध हो गया। सिकन्दर ने मुक्त कण्ठ से पौरव की तारीफ की और उसका सारा राज फिर से उसके हवाले कर दिया। इस तरह पौरव से सन्धि कर सिकन्दर आगे गढ़ा । भारत की राज- शक्तियों से उस समय मगध का साम्राज्य सबसे मुख्य था। पक्षाव से चल कर सिकन्दर ने मगध पर चढाई करने का इरादा किया । किन्तु सिकन्दर की सेना ने, जिसे पौरव के साथ के संग्राम में भारतीय वीरता का कानी परिचय मिल चुका था, व्यास नदी को पार करने से साफ इनकार कर दिया। यूनानी इतिहास लेखक लिखते हैं कि सिकन्दर ने अपनी सेना का हौसला बढाने की भरसक कोशिश की, किन्तु उसकी एक न चल सकी । मजबूर होकर भारत को विनय करने का स्वम पूरा किए बिना ही उस अलौकिक जगत् विजेता को भी व्यास नदी के उस पार से पीछे लौट जाना पड़ा। यूनानी इतिहास लेखक मेगेस्थनीज़ साफ़ लिखता है कि सिकन्दर के आने से पहले तक भारतवासियों पर कभी भी कोई विदेशी हमला करने वाला विजय प्राप्त न कर पाया था । अन्य यूनानी हमले सिकन्दर के समय से लेकर मुसलमानों के हमले के समय तक भारत • The Cambridge History of Ināsa. p 331
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