पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/८६

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश के अधीन था। इसके बाद एशिया की इन्हीं हमलावर कौमों ने यूरोप पहुँच कर सारे रोमन साम्राज्य को नहस नहस कर डाला। इङ्गलिस्तान के ऊपर चार सौ साल तक रोमन लोगों की हुकुमत रही। उसकं बाद ईसा की पाँचवी सदी में इन्ही एशियाई कौमों में से एक सैक्सन ने, जिसका उत्पत्ति स्थान कहीं पर मध्य एशिया में समझा जाता है, रोमन लोगों को निकाल कर बाहर किया, और इङ्गलिस्तान के असली बाशिन्दे ब्रिटनों को अपने अधीन कर लिया । आज कल की अंगरेज़ कौम जो अपने देश के अन्दर हर तरह आज़ाद है, इन्ही ब्रिटनों, सैक्सनों और इसी तरह की अनेक कौमों से मिल कर बनी हुई है। इन हमलो से यूरोप की बरबादी जब कि विशाल और बलवान रोमन साम्राज्यं भी इन लगातार हमलों का मुकाबला न कर सका, नो फिर बाकी यूरोप की हालत का केवल अनुमान कर लेना ही काफी है । ईसा की पाँचवी सदी में हुण जाति ने, जिसका ज़िक्र भारत के सम्बन्ध में ऊपर या जा चुका है, कास्पियन समुद्र और डेन्यूब नदी के बीच अपना एक स्वतन्त्र साम्राज्य कायम कर लिया था और रोम के निर्बल सम्राट तक इन हुण सम्राटों को खिराज देते थे। इसी तरह का इन लोगों का एक दूसरा साम्राज्य ईसा की पाँचवी और छठी सदियों में पच्छिमी यूरोप में भी कायम हो गया । इन हमलों के सबब से यूरोपियन समाज की जो हालत हुई उसे बयान करते हुए एक फ्रांसीसी इतिहास लेखक बुइसोनेद लिखता है :- “पुराने रोमन समाज की सबसे ऊपर की और बीच श्रेणियों के लोग उस तूफान में मिट गए, या हमला करने वाले असभ्य लोगों