पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६४
पुस्तक प्रवेश

पुस्तक अवश दिया। इस देश के ऊपर मुसलमानों के हमले को देश की घोरतम आपत्ति बताया जाता है, मुसलमानों की इस देश पर हुकूमत को देशवासियों की निर्बलता का सबूत बताया जाता है, और इसी आधार पर यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि अंगरेजों ने इस देश में आकर उस घोरतम आपत्ति के बुरे नतीजों से भारतवासियों की रक्षा की। निस्सन्देह कोई भी विदेशी हमला किसी भी देश के लिए बड़ाई की बात नहीं मानी जा सकती। फिर भी जिस तरह इससे पहले के हसलों की बाबत में, उसी तरह इस हमले की बाबत हमे यह देखना होगा कि मुसलमानों का दूसरे देशों पर हमला भारत ही की एक विशेषता थी या संसार के अन्य देशों को भी इस हमले का सामना करना पड़ा । हमें यह भी देखना होगा कि मुसलमानों का हमला पहले भारत पर हुथा या पहले किसी दूसरे देश पर, दूसरे देशों के मुकाबले में भारत ने इस हमले का कहाँ तक सफलता के साथ सामना किया, और मुसलमानों के हमले के अाखिरी नतीजे भारत के लिए कहाँ तक हितकर रहे या अहितकर । मोहम्मद साहब मोहम्मद साहब का जन्म सन् ५६६ ईसवी में हुआ था। सन् ६०६ ईसवी में उन्होंने अपने नए मज़हब का प्रचार शुरू किया, जिसका मुख्य रूप था-अरब के सैकड़ों कबीलों और घरानों के अलग अलग हजारों देवी देवताओं और उनकी मूर्तियों का अन्त कर उनकी जगह मनुष्य मात्र के लिए एक निराकार अल्लाह की पूजा सिखाना, अलग अलग कबीलों को तोड़ कर अरबानिवासियों को एक संयुक्त कौम बनाना, अरबों की असंख्य धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों और हानिकर रूढ़ियों को तोड़ कर उनके