इसलाम और भारत सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन को पवित्र और उच्च करना, और इन सब से अढ कर मनुष्य मात्र की समता और भ्रातृत्व का उपदेश देना। इसलाम के गौण, विवादास्पद, या अहितकर पहलू से इस स्थान पर हमें कोई सम्बन्ध नहीं है । वास्तव में मोहम्मद साहब के उपदेश धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक तीनों क्षेत्रों में एक सा प्रभाव रखते थे। इन उपदेशों ने अरबों के अन्दर एक नई रूह फूंक दी । वे धार्मिक और राजनैतिक दिग्विजय के लिए अपने देश से निकल पड़े और मोहम्मद साहब की मृत्यु के करीद सौ साल के अन्दर ही उन्होंने सभ्य संसार के एक बहुत बड़े हिस्से पर अपना प्रभुत्व कायम कर लिया। मुसलमानों की हुकूमत सन् ६२६ ईसवी में मक्का नगर ने मोहम्मद साहब को अधीनता स्वीकार की । सन् ६२६ से ६३१ तक दो साल के अन्दर तमाम अरब मोह- म्मद साहब के अधीन हो गया । ६३२ में मोहम्मद साहब की मृत्यु हुई। सन् ६३६ मे इराक (मैसोपोटेमिया) और शाम (सीरिया) पर अरयों ने विजय प्राप्त की । सन् ६३७ में उन्होंने बैतुलमुक्तहस (जेरूसलम) पर कब्जा किया । सन् ६३७ से ६५१ तक समस्त ईरान अरबों के शासन में आ गया। सन् ७.१ से ७१५ तक मुसलमानों ने पूरब में चीन की सरहद तक धावा किया और समस्त तातार और तुर्किस्तान को अपने साम्राज्य में मिला लिया। ___ इसके साथ ही साथ इस साहसी जाति की नज़र पच्छिम की ओर गई । सन् ६३८ से ६४१ तक समस्त मिश्र ( इजिप्ट) श्ररयों के शासन में श्रा गया। ६६७ से ७०६ तक कारथेज और शेष समस्त उत्तर अमरीका पर अरबों का साम्राज्य कायम हो गया । यूरोप का विशाल रोमन साम्राज्य
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