पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/१८१

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१७२ जो बहुत करके उपन्यास और किस्सों के ढंग की हैं, और अत्यन्त अश्लील "यह नौकर-औरतें बादशाह की सेवा किस तरह करती हैं, यह भी उल्लेखनीय बात है। क्योंकि जिस तरह बाहर मर्दो में अमीर और मन- सबदार हैं, उसी तरह महलों में स्त्रियों में भी हैं । बल्कि बहुतेरों के तो वही ओहदे भी होते हैं, जो बाहर मर्दो के । जब बादशाह-सलामत बाहर तश- रीफ़ न लाना चाहें, तो इन्हीं ओहदेदारों के द्वारा बाहर के अफसरों को आज्ञा प्रदान की जाती हैं। इन ओहदों पर जो स्त्रियाँ नियुक्त की जाती हैं, उनके चुनाव में खास सावधानी की जाती है जो बुद्धिमान् हों, और राज्य में जो-कुछ हो रहा हो, उससे परिचित रहें ; क्योंकि जिन बातों की बादशाह को सूचना आवश्यक हो, उनकी पूरी रिपोर्ट बाहर से अफ़सर लिख भेजते हैं, और जिस तरह बादशाह आज्ञा दें, जनाने अफ़सर उन पर रिपोर्ट लिखती और जवाब देती हैं, और बाकायदा मुहर करके मर्दाने अफ़सरों के सुपुर्द कर देती हैं, और इधर-से-उधर और उधर-से-इधर जवाब लाती और ले जाती रहती हैं । मुगलों का यह भी एक नियम है कि जो-कुछ राज्य में हो रहा है, सप्ताह में एक बार उसकी रिपोर्ट 'खुफ़िया- नवीस' में अवश्य दर्ज करानी होती है, जो एक प्रकार का गज़ट या अख- बार है । इन खबरों को लगभग सन्ध्या के नौ बजे महल में जनाने अफ़सर बादशाह को सुनाती हैं, और इस तरह महल में भी राज्य-भर की घटनाओं की सूचना मिलती रहती है। इसके सिवाय जासूस हैं, जिनका कर्तव्य है कि सप्ताह में कम-से-कम एक बार दूसरे आवश्यक विषयों और खासकर शाहजादों के कामों के सम्बन्ध में, आवश्यक रिपोर्ट भेजें। वह रिपोर्ट लिखित होती है। बादशाह आधी रात तक बैठा इसी प्रकार काम करता रहता है । इसके बाद केवल तीन घण्टे तक सोता है, और उठते ही मामूली नमाज पढ़ता है, जिसमें उसे डेढ़ घण्टा लगता है । प्रति वर्ष वह एक जल्सा करता है, जिससे ईश्वर उसे विजय और प्रताप दे। परन्तु आजकल चूंकि वह बूढ़ा हो गया है, और शत्रु इसे कुछ करने नहीं देते, इसलिये विवश उसे आराम करना पड़ता है। परन्तु वह आवश्यक कार्यों के सम्बन्ध में प्रति- दिन सोचने तथा उचित आज्ञा प्रदान करने में कमी नहीं करता। इस तरह -