पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/१९०

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१८१ - - - रात दिये जाते है, तथा तनख्वाहों में तरक्की की जाती है। अमीरों की स्त्रियाँ भी जब आती हैं, तो इन्हें बहुमूल्य वस्त्र और जवाहरात मिलते हैं, और जब वह बिदा होती हैं, तो उनके हाथ खिचड़ी से भरे होते हैं। खिचड़ी एक प्रकार का खाना है; जो भिन्न प्रकार की मेवा और फलों को मिलाकर तैयार किया जाता है। पर स्मरण रहे, इनकी खिचड़ी साधा- रण खिचड़ी नहीं होती, बल्कि सोने-चांदी के सिक्कों और बहुमूल्य जवाह- रात तथा छोटे-बड़े मोतियों की बनी हुई होती है। जिस दिन कोई शाह- जादा या शाहजादी पैदा हो, तो बच्चे को एक पीले रेशम का तागा पहना- कर उसमें गाँठ दे दी जाती है, जो उस दिन का चिन्ह है, जब वह पृथ्वी पर जन्मा हो। अगले वर्ष उसी दिन एक और गाँठ दे दी जाती है। और इस वर्ष-गाँठ के उपलक्ष्य में वैसे-ही और जल्से-जश्न और गाने-बजाने का बाजार गर्म रहता है। पैदा होने के थोड़ी देर बाद बच्चे का नार काटा जाता है, और १० धागे बाँधकर ४० दिन तक कुछ तावीजों के साथ उसके सिर- हाने रख दिया जाता है। ४० दिन के बाद यह तार और तावीजों की थैली शाहजादे के गले में बाँध दी जाती है। मुग़ल-साम्राज्य में यह रस्म बिना पालन किये नहीं रह सकती। "बहुधा औरङ्गजेब को 'पीर-दस्तगीर' कहकर पुकारते हैं । अर्थात् वह पूज्य पुरुष हाथ के हिलाने से दुःख और रंज दूर कर सकता है। जब यह छोटा शाहदादा, जिसका मैं जिक्र कर रहा हूँ, दो साल की आयु को प्राप्त होता है तो इसे पिता की भाषा या-तातारी, जो तुर्क की पुरानी भाषा है, सिखलाई जाती है। इसके बाद इसे विद्वानों और ख्वाजासरों के हवाले कर दिया जाता है। वे इसे समस्त फ़ौजों और सांसारिक विद्यायें सिखा देते हैं । इस बात की विशेष चेष्टा की जाती है, कि वह बुरी आदत न सीखने पाये। विनोद के तौर पर कई नाटक आदि इसे दिखाये जाते हैं, या मुक़दमे पेश किये जाते हैं, जिनमें वह दोनों तरफ के बयान और जिरह आदि सुनकर फैसले करता है। इसी तरह इसको युद्ध में भी ले जाते हैं, जिससे यह अनुमान किया जाता है कि वह यदि कभी अधिकार प्राप्त करे, तो उसे संसार का कुछ-न-कुछ अनुभव हो, और वह प्रत्येक मामले पर ठण्डे दिल और दिमाग़ से गौर कर सके।