२३० शादी की दावतों में ५-५, ६-६, लाख रुपया पानी हो जाता था। नवाब का निजू रोजाना खर्च भी कम न था। आपके यहाँ १२०० हाथी, ३००० घोड़े, १००० कुत्त, अगणित मुर्गियाँ, कबूतर, बटेर, हिरन, बन्दर, साँप, बिच्छू और भाँति-भाँति के जानवर थे। इनके लिए लाखों की इमारतें बनी थीं, और लाखों रुपये खर्च होते थे। इनके निजू नौकरों में २००० फ़राश, १०० चोबदार और खिदमतगार तथा सैकड़ों लौंडियाँ थीं। ४ हज़ार तो माली थे। रसोई का खर्च ही २-३ हज़ार रुपये रोजाना का था। सैकड़ों बावर्ची थे। शाहजादे वज़ीरअली की शादी में ३० लाख रुपये खर्च किये थे। ये सिर्फ दाता और उदार ही नहीं, एक योग्य शासक और गुण- ग्राही भी थे। मीर, सौदा और हसरत आदि उर्दू के नामी कवि थे, जो साल में सिर्फ एक बार दरबार में हाजिर होकर हजारों रुपये पाते थे। संगीत और काव्य के ऐसे रसिक थे, कि एक-एक पद पर हजारों रुपये बर- साये जाते थे। अँगरेज कम्पनी ने नवाब से कई बड़ी रक़में बार-बार तलब की थीं। उधर वारेन हेस्टिग्स को रुपये की बड़ी ज़रूरत थी। वह जहाँ तक बनता, रईसों से रुपये तलब करता था। विवश हो, नवाब ने चुनार के किले में गवर्नर से मुलाक़ात की, और बताया कि केवल सेना की मद्द में ही मुझे एक बड़ी रक़म देनी पड़ती है। अन्त में गवर्नर ने नवाब से मिलकर यह त किया, कि चूंकि स्वर्गीय नवाब शुजाउद्दौला मृत्यु के समय में अपनी माँ और विधवा बेग़म को बड़े- बड़े खजाने दे गया है, और फैज़ाबाद के महल भी उन्हीं के नाम कर गया है, तथा ये बेगमें अपने असंख्य सम्बन्धियों, बाँदियों और गुलामों के साथ वहीं रहती थीं-अतः उनसे यह रुपया ले लिया जाय। आसफुद्दौला यह शर्त सुनकर बहुत लज्जित हुआ, पर लाचार इसे सहमत होना पड़ा, और इसका प्रबन्ध अंगरेज-अधिकारी स्वयं कर लेंगे, यह निश्चय होगया। पाठकों को स्मरण रखना चाहिए कि मृत नवाब इन बेगमों को अंग- रेजों की संरक्षकता में छोड़ गये थे। अब इन पर काशी के राजा चेतसिंह के साथ विद्रोह में सम्मिलित होने का अभियोग लगाया गया, और सर इला- इजा कहारों की डाक बैठाकर इस काम के लिए कलकत्त से तेजी के साथ
पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२३९
दिखावट