२६४ इसी बीच में नाना फड़नवीस ने हैदर से सन्धि करली। अंगरेज़ों ने फिर सन्धि की बहुत चेष्टा की, पर हैदर ने स्वीकार न किया। कर्नाटक का नवाब मुहम्मदअली अंगरेज़ों का मित्र था। हैदर ने पहले उसी की ओर रुख किया, और सेना के कई भाग कर, तमाम प्रान्त में फैला दिये । अंग- रेजी और नवाब की सेनाएँ हार-पर-हार खाने लगीं। अन्त में तमाम प्रान्त को हैदर ने अपने कब्जे में कर लिया। नवाब भागकर मद्रास चला गया । हैदर की सेनायें भी मद्रास जा धमकीं। अँगरेज़ों की दो सेनाएँ उसके मुक़ा- बले को उठीं । घनघोर युद्ध हुआ और हैदर ने अँगरेज़ी सैन्य को बिलकुल नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। अरकाट के क़िले और नगर पर भी अधिकार हो गया। वहाँ उसने एक हाकिम नियत किया, और शासन-प्रबन्ध ठीक किया। उस समय वारेन हेस्टिग्स गवर्नर-जनरल थे। यह समाचार सुन, वह घबरा गये। बंगाल की हालत भयानक हो गई थी। भयानक दुर्भिक्ष था । पर, फिर भी ५ लाख रुपया नक़द और एक भारी सेना उसने मद्रास के लिये भेजी। मद्रास पहुँचकर इस सेना के सेनापति ने सात लाख रुपये मुहम्मदअली से और वसूल किये और सैन्य-संग्रह कर, हैदरअली के मुक़ा- बले को बढ़ा। कई बार मुठभेड़ हुई, और अंगरेज़ों को भारी हानि उठाकर पीछे हटना पड़ा। अन्त में सेनापति सर कूट बंगाल लौट गये। हैदर ने लगभग समस्त अंगरेज़ी इलाका फ़तह कर लिया था। पर अचानक उसकी मृत्यु अरकाट के किले में होगई । हैदरअली की पीठ में अदीठ (कारबंकल) फोड़ा हो गया था। उसी से उसकी मृत्यु हुई । मृत्यु के समय वह साठ वर्ष का था। मृत्यु के समय उस तमाम इलाके को छोड़कर, जो उसने हाल के युद्ध में अपने शत्रुओं से विजय किया था-शेष का क्षेत्रफल ८० हजार वर्ग वर्ग मील था, जिसकी सालाना बचत, तमाम खर्चा निकालकर, ३ करोड़ रुपयों से अधिक थी। उसकी स्थायी सेना ३ लाख २४ हजार थी। खजाने में नकदी और जवाहरात मिलाकर सब ८० करोड़ से ऊपर था। उसकी पशुशाला में-७०० हाथी, ६००० ऊँट, ११००० घोड़े, ४००००० गाय और बैल, १००००० भैसें, ६०००० भेड़ें थीं। शस्त्रागार में ६ लाख बन्दूकें,२ लाख तलवारें और २२ हजार तोपें थीं।
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