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३०० टीपू की समाधि पर यह शेर खुदा है- चूँ आँ मर्द मैंदा निहाँ शुद्ज़ दुनिया। थके गुफ्त तारीख शमशीर गुल शुद । अर्थात्-जिस समय वह शूर दुनिया से गायब हुआ, किसी ने कहा-इतिहास के लिये तलवार गुम हो गई।
३०० टीपू की समाधि पर यह शेर खुदा है- चूँ आँ मर्द मैंदा निहाँ शुद्ज़ दुनिया। थके गुफ्त तारीख शमशीर गुल शुद । अर्थात्-जिस समय वह शूर दुनिया से गायब हुआ, किसी ने कहा-इतिहास के लिये तलवार गुम हो गई।