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३१० - को रौंद लिया था, बादशाह को कैद कर लिया था, और विशाल भारत वर्ष चिरकाल तक लावारिस माल पड़ा हुआ था ! इन सुअवसरों से हिन्दुओं ने लाभ नहीं उठाया, इसका कारण यह था, कि साम्राज्यवाद और विजय दोनों ही के महत्व को वे नहीं जानते थे। उनमें एकदेशीयता न थी। वे अपने प्रान्तों को स्वदेश, अपनी जाति को जाति और अपने घर को घर समझते थे। समस्त भारत और उसके निवासियों के प्रति भी कुछ उत्तरदायित्व होते हैं, यह उन्होंने सोचा भी नहीं। अन्ततः इस लावारिस माल को सँभालकर रखने का कष्ट करना पड़ा-एक विदेशी गोरी जाति को !!