, ३२२ किया इसके ३०० वर्ष बाद महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण हुए। इन हमलों का कोई स्थायी प्रभाव भारत पर न था। १०० वर्ष बाद मुहम्मद ग़ोरी ने भारत पर आक्रमण किया, और उसके आक्रमणों का प्रभाव पंजाब में स्थाई होने लगा। उस समय तक भारत की राजनैतिक अवस्था हद दर्जे तक पहुँची हुई थी। अन्त में १३वीं शताब्दी में उत्तर-भारत पर मुसलमानों का राज्य स्थिर हो गया। इसके सौ वर्ष के अन्दर मैसूर तक अधिकांश भारत पर मुसलमानों का अधिकार फैल गया। इससे, इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत की जातीयता को भारी धक्का लगा। पर मुसलमान भारत में बस गये, और पहले लोगों के परि- श्रम से उन्हें इस काम में अधिक कठिनाई न उठानी पड़ी। वे एक ही पीढ़ी में भारतीय बन गये, और उनकी संस्कृति का प्रवेश भारतीय संस्कृति पर भी होने लगा। सच्चे सम्राट् की भाँति मुग़लों ने भारत में राज्य किया । मुग़लों की राज्य-श्री बहुत बड़ी-चढ़ी रही। यदि यह कहा जाय, कि उस समय पृथ्वी-भर में कोई सम्राट् मुग़लों से अधिक प्रतापी न था, तो अत्युक्ति नहीं। ईसा की आठवीं-शताब्दी तक भारत की स्थापत्य-कला पर बौद्धों की संस्कृति थी। ८वीं से १३ वीं शताब्दी तक इस कला में हिन्दुओं के आदर्शों की प्रधानता रही। फिर भी बौद्ध-मत का प्रभाव इस पर स्पष्ट दीख पड़ता रहा। यह बात निर्विवाद है कि प्रत्येक देश की स्थापत्य-कला पर उस देश की भौगोलिक स्थिति का प्रभाव पड़ता रहता है। भारत अभेद्य जंगलों, प्रचण्ड ऋतुओं, बड़ी-बड़ी नदियों, पहाड़ों और धनी उपज का देश है । इसी कारण सदा से भारतीय स्थापत्य कला की स्थूलता और विस्तार पर अधिक जोर डाला जाता रहा है। भारतीय जंगलों में विविध वनस्पति देखने को मिलती हैं। इसीलिए प्राचीन शिल्प-कला में लतागुल्म के विविध कढ़ाव आपको देखने को मिलेंगे। अरब, भारत की प्राकृतिक परिस्थिति के बिलकुल ही विपरीत देश है। वहाँ जङ्गल, रेगिस्तान और उजाड़ मैदानों की भरमार है । तेज गर्मी, इने-गिने खाद्य-सामान, और रेन के भयानक पर्वत, इसी का प्रभाव मुसल-
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