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भाव-विलास
१—अनुकूल
दोहा
निज नारी सनमुख सदा, विमुख बिरानी बाम।
नायक सो अनुकूल है, ज्यो सीता को राम॥
शब्दार्थ—सरल है।
भावार्थ—केवल अपनी स्त्री से ही प्रेम कर परस्त्री से विमुख रहनेवाला नायक अनुकूल कहलाता है। जैसे सीता के लिए राम।
२—दक्षिण
दोहा
सब नारिन अनुकूल सो, यही दक्ष की रीति।
न्यारी ह्वै सब सों मिलै, करै एकसी प्रीति॥
शब्दार्थ—सरल है।
भावार्थ—अनेक स्त्रियों पर एक समान प्रीति रखनेवाला नायक दक्षिण कहलाता है।
उदाहरण
सवैया
सौगुने सील सुभाइ भरे, जिनके जिय औगुन एक न पावै।
मेरिये बात सुनै समुझै, मनभावन मोहि महा मन भावै॥
देव को चित्त चितोनिन चंचल, चंचलनैनी कितौ चितवावै।
आँखिहू राखिहू नाखर के, हरि क्यों तिन्हे लीक अलीक लगावै॥