पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
१६
भाव-विलास

  बातें। मिस—बहाना। दरसै—देखती है। द्दगकोर—आँखों की कोर।

उदाहरण चौथा—(मुसक्यानि)
सवैया

जब तें जदुराई दई दुहिगाय, गये मुसक्याइ पूछे घर के।
तब तें तन व्याकुल बालबधू, लखि लोग लुगाई सबै घर के॥
'कविदेव' न पावत बेदन बेद, रहे कुलदेवन के डर के।
नहिं जानत कान्ह तिहारे कटाछ, को कोरै करेजन मैं कर के॥

शब्दार्थ—बेदन—वेदना। बेद—वैद्य। कुलदेवन—कुल के देवता। तिहारे—तुम्हारे। कटाछ—कटाक्ष। कोरै—कोर। करेजन—कलेजे में। करके—कसकती हैं।

उदाहरण पांचवाँ—(अंगभंग)
सवैया

चंपक पात से गात मरोरि, करोरिक आप सुभाइ सचैयत।
मो मिस भेंटि भटू भरि अङ्क, मयङ्क से आनन ओठ अचैयत॥
देव कहे बिन बात चले नव, नील सरोज से नैन नचैयत।
जनति हौं भुजमूल उचाय, दुकूल लचाइ लला ललचैयत।

शब्दार्थ—चंपक—चंपा का फूल। पात—पत्ते। गात—शरीर। करोरिक—करोड़ों। मयङ्क—चन्द्रमा। नव-नली-सरोज—नये नीले कमल। नैन—आँखें। भुजमूल—बाँह का अग्रभाग। उचाय—उठाकर। दूकूल—कपड़ा। लचाइ—झुकाकर ललचैयत—लुभाये जाते हैं।