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सरल प्रतीत हुआ वहां शब्दार्थ अथवा भावार्थ नहीं दिया गया। प्रत्येक 'विलास' के आदि मे उसमें वर्णित विषय की एक तालिका भी दे दी गयी है। इससे उस विलास में वर्णित विषय और भी स्पष्ट हो जाता है।
प्राचीन कविता के विद्यार्थियो और प्रेमियों ने यदि इस ग्रन्थ का कुछ भी आदर किया तो मैं अपने परिश्रम को सफल समझूंगा।
दारागंज, प्रयाग | लक्ष्मीनिधि चतुर्वेदी |
विजयादशमी, १९९१ |