( ३१ ) अनुकृत-एक ही रो पर अनुरक्त रहनेवाला । दक्षिा-कई स्त्रियों पर समान अनुराग रखनेवाला । शठ-~~-अपराध करने पर भी मीठी बातें करने वाला । धृष्ट-( अपराध करने के अनंतर ) धिक्कारे जाने पर भी निर्लज रहनेवाला। -शृंगार रस के लिए धर्म के अनुसार नायक के तीन भेद किए गए हैं-पति, उपपति और वैशिक । पति चार प्रकार के होते हैं जिनका ( दोहा सं० ६, ७ में ) उल्लेख किया जा चुका है। उपपति वचनचातुर्य तथा क्रियाचातर्य से दो प्रकार के होते हैं । पति विवाहित पुरुष को कहते हैं उपपति-दूसरे को विवाहिता स्त्री में अनुरक्त । वेशिक-वेश्याओं में अनुरक्त । ६-~काम शास्त्र के अनुसार स्त्रियों के ये चार विभाग किए गए -नायिका के ये तीन भेद धर्मानुसार किए गए हैं, जो दोहा सं० ८ के नायकों के अनुसार हैं । ( साहित्यदर्पण का० १८) स्वकीया --- (स्वीया, स्वा) अपने पति पर अनुरक्ता स्त्री को कहते हैं। परकीया = पर-पुरुष पर अनुराग करनेवाली स्त्री को परकीया वा अन्या कहते हैं। सामान्या ...: धन के लिये प्रेम करनेवाली स्त्री को सामान्या, साधा- रणा या गणिका कहते हैं। ११-१२ अवस्था क्रम से स्वकीया के तीन भेद माने गए हैं ---मुग्धा, मध्या और प्रौढ़ा। कामचेष्टा-रहित अंकुरित-यौवना को मुग्धा कहते हैं, जो दो प्रकार की होती हैं --ज्ञानावना और श्रज्ञातयौवना । ज्ञात- यौवना के पुनः दो भेद किए गए हैं-नवोढ़ा और विश्रब्ध नवादा। क्रमश:
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