पृष्ठ:भाषा-भूषण.djvu/६३

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( ३३ ) १६-२० नायक तथा नायिका के संबंध से किए गए नौ भेद हैं प्रोषितपतिका---पति या प्रेमी के विदेशगमन से विरहकातरा स्त्री के कहते हैं। कलहांतरिता-पहिले पति के साथ कलह करती है और बाद के पछताती है। खंडिता का पति रात्रि भर अन्यत्र रहकर सुबह घर लौटता है अभिमारिका के अंधेरी तथा चाँदनी रात्रि और दिन में प्रियमिलन को जाने के कारण तीन भेद किए गए हैं- कृष्णाभिसारिका, शुक्लाभि- सारिका और दिवाभिसारिका । कतिपय कवि संध्याभिसारिका तथा निशाभिसारिका भी भेद करते हैं । उत्कंठिना-प्रेमी के संकेतस्थान में प्राने में कुछ देर करने के कारण वितर्क करनेवाली को उत्कंठिता या उस्का कहते हैं। विप्रलब्ध-संकेतस्थान में प्रिय के न मिलने से दुखी नायिका । शरीर ( तथा शैया श्रादि । सजित कर पति का मासरा देखती है। घासकजा स्वाधीन पतिका-अपने पति को अपनी मुट्ठी में रखती है प्रवत्स्यत् पतिका-पति के विदेश जाने का समाचार सुनकर दुखी होती है। २१-गर्विता के उसके रूप तथा पति के उसके प्रति अधिक प्रेम के संबंध से दो भेद किए गए हैं-रूपगविता और प्रेमगर्विता। गुणों से गर्विता होने के कारण इसका एक और भेद होता है। भा० भू०-३