। धारण कर ले । जैसे, ( नीलकंठ ) शिवजी के गले में पड़ने से शेष श्याम हो गया पर पुनः उनके उज्वल यश के कारण श्वेत हो गया। ( २ ) जब समीपवर्ती के ग ण न लेने का कारण प्रस्तुत करने पर भी वह न दूर हो । जैसे, दीपक के बुझा देने पर भी उसके कमरबंद के मणियों के कारण उजाला बना रहा । जब समीपवर्ती के गुण का कुछ असर न हो। जैसे, हमारे अनुरक्त हृदय में रहने पर भी प्रिय में अनुराग नहीं उत्पन्न हुा । १७४-जब संग से गुण अधिक बढ़े । जैसे, हृदय की प्रसन्नता ( हास्य ) से मोती को माला अधिक श्वेत हो जाती है। १७५ -अधिक समानता के कारण जब भेद अर्थात् भिन्नता स्पष्ट न हो । जैसे, स्त्री के लाल रंग के पैरों में लगा हुआ महावर अलग नहीं मालुम होता। १७६-जब समानता के कारण सामान्य और विशेष में भेद न मालूम हो । जैसे, न पलक गिरनेवाले नेत्र, कान और कमल में भिन्नता नहीं मालूम होती। मीलित में उत्कृष्ट गुणवाली वस्तु में निकृष्ट गुणवाली वस्तु मिल जाती है पर सामान्य में दोनों के समान होने से भिन्नता नहीं ज्ञात होती। १७७-जब समानता में किसी एक कारण से भेद प्रगट हो जाय । जैसे, कीर्ति ( रूपी पर्वत ) और हिमालय छूने से पहिचान पड़ते हैं । कीर्ति श्वेत मानी गई है और हिमालय बर्फ से ढकने के कारण श्वेत है पर दोनों में एक के न छू सकने के कारण भिक्षता स्पष्ट हो जाती है। १७८-समता में भी जब विशेष भेद से भिन्नता प्रगट हो जाय । जैसे, श्री-मुख और कमल संध्या के समय चंद्र-दर्शन के अनंतर समझाई पड़ते हैं। अर्थात् दोनों में भेद ज्ञात होता है)। संध्या होने पर कमन मुरझा जाता है। ।
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