पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/६८

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भाषाओं का वर्गीकरण . विवेक से काम लेना चाहिए, क्योंकि केवल कुछ शब्दों के साम्य से ही दोभाषाओं को एक प्राचीन भाषा की संतान मान लेना भ्रमात्मक एवं भूर्खतापूर्ण कार्य होगा। अँगरेजी में लैटिन और श्रीक शब्दों का आधिक्य देखकर यह न कहना चाहिए कि अँगरेजी भाषा लैटिन या श्रीक से उत्पन्न हुई है। इसी प्रकार प्राचीन काल के भापा वैज्ञानिक फारसी में अरवी शब्दों का आधिक्य देखकर उसे सेमेटिक वर्ग की भाषा मानकर श्रम में पड़े हुए थे । यूरोप के प्राचीन भाषा-वैज्ञानिक संसार की सब भाषाओं को हिब्रू भाषा से उत्पन्न मानकर शब्दों की ऊटपटाँग व्युत्पत्तियाँ निकाला करते थे। परंतु थोड़े से अध्ययन और तुलना से यह वात स्पष्ट हो जाती है। जैसे भारत की पंजावी, हिंदी, बंगला, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं की परस्पर तुलना करने से यह बात सहज ही ध्यान में आ जाती है कि ये सब भाषाएँ सजातीय हैं और इनकी उत्पत्ति एक ही मूल से हुई है। इसके अतिरिक्त भाषाओं के इस प्रकार के वंशनिर्णय करने के लिये विद्वानों ने कुछ सिद्धांत बनाये हैं। उनका कहना है कि निकट संबंधी व्यक्तियों जैसे साता, पिता, भाई, बहिन इत्यादि के लिये प्रयुक्त शब्द, सर्वनाम, संख्याओं के नाम तथा नित्य-व्यवहार की वस्तुओं के नाम जिन भाषाओं में समान हों, वे एक सामान्य भाषा से उत्पन्न मानी जा सकती हैं 1 नीचे कुछ भाषाओं के परस्पर संबंद्ध शब्दों के उदाहरण दिए जाते हैं। संस्कृत लैटिन श्रीक जर्मन पु०अँग फारसी पित (पितर ) Pater Pater Vater Feder Father पिदर माट (मातर) Mater Meter Matter Modor Mother मादर भ्रात(भ्रातर) Frater Phrater Bruder Brothor Brother बिरादर ऐसे शब्दों को देखकर हम अनुमान कर सकते हैं कि ये भाषाएँ परस्पर किसी न किसी रूप में संबद्ध हैं। इसके अतिरिक्त आलोच्य भाषाओं के व्याकरण की समानता भी परस्पर संबंध का परिचायक है। व्याकरण के नियमों का सादृश्य हूँढ़ते समय सब भाषाओं के श्रा० अंग