पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१५२

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गासी द तासी और हिंदी परिस में पड़े-पड़े प्रसिद्ध फ्रेच विद्वान गासी द तासी ने हिंदुस्तानी के लिये जो कुछ किया, उसका पता बहुतों को नहीं धन्य कहिए उर्दू के प्राण डाक्टर मौलाना अब्दुल हक को, जिनके प्रयत्न से उनके अनेक व्याख्यान 'उर्दू की तिमाही पत्रिका में प्रकाशित होकर जनता के सामने आए और अब उनमें से अधिकांश पुस्तक के रूप में उपलब्ध भी हो गए । 'गाली द तासी हिंदुस्तानी के उन धुरंधर विद्वानों में से एक ही नहीं, प्रत्युत सर्वोपरि हैं, जिन्होंने भारत में आने का कभी कष्ट नहीं किया किंतु अपने प्रवल परिश्रम और तत्पर निष्टा के कारण स्वयं भारतीयों को भी मात कर दिया। 'डाक्टर गिल- क्रिस्ट ने हिंदुस्तानी की जो सेवा की वह बहुत कुछ अँगरेज -मानी द तामी का जीवन-काल सन १७६४ से सन् १८७८ ई. तक उदरता है । मुख्यतः वे उनके प्रोफेसर थे, पर साथ ही साथ हिंदी की गतिविधि पर भी ध्यान रखते थे। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक हिंदुस्तानी साहित्य का इतिहास का प्रकाशन सर्वप्रथम सन् १८३६.ई. में हुला, जिनमें हिंदी तथा उर्दू के कवियों का उल्लेख किया गया 1. उनके प्रति वर्ष के व्याख्यानों के अध्ययन से अनेक तथ्यों का उद्घाटन हो rar है और हिंदी साहित्य के गत्र-काल की कुछ पूर्ति भी हो जाती है।