पृष्ठ:भूगोल.djvu/१२९

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झाबुआ राज्य लखाना वंशीय झब्बू नामक व्यक्ति ने मोलहवीं भागे हुए अँग्रेज अफसरों की बड़ी सहायता की। सदी में झाबुआ नगर की नींव डाली । उसी नगर के और राज्य में शान्ति स्थापित रखने में बड़ी दिलचस्पी नाम पर इस राज्य का झाबुआ नाम पड़ा । इस राज्य से काम किया। इस कार्य के बदले में १८७८ ई. में के उत्तर में कुशलगढ़ और सैलाना राज्य हैं। दक्षिण राजा को १,२५,००० की खिलअत मिली। १८५६ ई.) में जोबत, अलीराजपुर व धार राज्य हैं । पूर्व में धार में राजा गोपाल को स्वतन्त्रता पूर्वक राज्य करने का व ग्वालियर, पश्चिम में बम्बई प्रान्त के पंचमहल अधिकार मिला। १८६३ ई० में राजा ने राज्य के जिले हैं। राज्य का क्षेत्रफल लगभग १,३३६ वर्ग मील अन्दर रुई का कर लेना बन्द कर दिया । १८७१ ई० है। प्रायः सारा राज्य पहाड़ी पठारों और बनों से में इन्दौर और झाबुआ राज्य में आपस में गाँवों का घिरा है । विन्ध्याचल पहाड़ की श्रेणियाँ राज्य में बदला हुआ। पेटलावद इन्दौर को और थांडला झाबुआ फैली हुई हैं जो १८०० फीट ऊँची हैं । पहाड़ियाँ घने को मिला। सन् १८६३ ई० में राजा ने उदय सिंह बनों से ढकी हैं । पहाड़ियों के बीच की घाटियों में को गोद लिया। सैकड़ों छोटी छोटी नदियाँ हैं जो माही और अनास उदयसिंह (१८६५)- की सहायक हैं । इस राज्य की जन-संख्या लगभग २२ जनवरी सन् १८६५ ई० को राजा गद्दी पर १,४५,५२२ है। बैठा। राजा को १८६८ ई० में राज-प्रबन्ध की आज्ञा इस राज्य की जलवायु अासपास के राज्यों से मिली । १८६० और १००० ई० के भीषण अकाल के इस बात में भिन्न है कि गर्मियों में अत्यन्त गर्मी व समय राजा को अंग्रेज सरकार द्वारा सींधिया से जाड़ों में अत्यन्त शीत पड़ती है। वर्षा लगभग ३० एक लाख और तीन लाख सतहत्तर हजार भारत इंच सालाना है । लगभग २३ हजार एकड़ भूमि में सरकार से कर्ज लेना पड़ा। राजा ने इस रुपये का खेती होती है। खरीफ और रबी दो फसलें होती हैं। अच्छा उपयोग किया और प्रजा के सुख के लिए खरीफ में कपास, ज्वार, बाजरा, मकई, मूंग, उर्द अच्छा प्रबन्ध किया। आदि बोए जाते हैं । रबी में गेहूँ, चना, जौ, अल्सी, राजा दीवान की सहायता से शासन करता है। सरसों, मसूर आदि की फसल होती है। हत्या काण्डों को छोड़ सभी प्रकार के मुक़दमों का संक्षिप्त इतिहा फैसला राजा के हाथों से होता है । राज्य झाबुआ, झाबुआ राज्य के शासक राठौर वंश के हैं। रम्भापुर, रानापुर और थांडला चार परगनों में भीमानजी अकबर के समय में मुग़ल सेना में नौकर बँटा है। प्रत्येक परगना एक तहसीलदार के आधीन थे और कई एक युद्धों में कार्य कर चुके थे जिसके है। राजा के पास कोई सेना नहीं है, किन्तु रक्षा के बदले में उन्हें मालवा में ५२ जिले मिले। १५८४ में लिये लगभग ६० सवार, कुछ पैदल सिपाही और भीमानजी की मृत्यु हो गई। भीमानजी के पश्चात् दो बन्दूकें हैं। यह सिपाही महल के पहरेदारों का केशवदास, करनसिंह, मानसिंह, कुशलसिंह, अनूप काम करते हैं। शासन प्रबन्ध के लिये राज्य में २४० सिंह, शिवसिंह, बहादुरसिंह, भीमसिंह, प्रतापसिंह, कानिस्टेबिल, ७ हेड कानिस्टेबिल. ५ इन्सपेक्टर रतनसिंह आदि राजों ने १८४० ई. तक राज्य किया। और एक चीफ इन्सपेक्टर है। गोपालसिंह ( १८४०-६५)- राज्य की सालाना आय ४,२८,००० रु० है। गोपाल के लड़कपन में रानी राजकाज देखती वर्तमान नरेश हिज हाईनेस राजा उदयसिंह (राठौर रही। जब १८५७ में विप्लव हुआ तो राजा की राजपूत) हैं। आप चैम्बर श्राफ प्रिन्सेज़ के मेम्बर हैं अवस्था केवल १७ साल की थी। फिर भी राजा ने और आपको ११ तोपों की सलामी दी जाती है। > ।