१३६ भाव नगर खम्भात खाड़ी पर काठियावाड़ के प्रायद्वीप में गाहों पर २००० सालाना जहाज पाया जाया करते हैं । में यह राज्य स्थित है । इस राज्य का क्षेत्रफल २९६१ बन्दरगाहों से, रूई, तेल, घी ऊन, सूती कपड़ा इत्यादि वर्गमील और जनसंख्या ५,००,००० से ऊपर है। बाहर भेजा जाता हैं। धातु, चावल, कपड़ा और इस राज्य में सिहोर और कुंदला पहाड़ियों की लकड़ी बाहर से आती है । काठियावाड़ प्रान्त का ६१ श्रेणियाँ फैली हुई हैं। कुछ भाग में नमक ही नमक प्रतिशत व्यापार यहीं के बन्दरगाहों द्वारा होता है। है।।कुछ भाग में काली मिट्टी पाई जाती है। यहाँ मुख्य राज्य के अन्दर ३२५ मील राज्य की रेलवे है। नदियाँ शतररंज, बगप और मलन है। इन नदियों राम्य में २० प्रिन्टिङ्ग प्रेस, ६२ फ्लावर मिल्स, १३ तेल से सिंचाई का काम होता है। यहाँ को मुख्य उपज के कारखाने और आठ साबुन केकारखाने हैं । अनाज, कपास, ऊख और नमक है । यहाँ की सालाना सरप्रमाशंकर पट्टानी ने प्रजा की दशा सुधारने के श्राय १८५ लाख रु० है । दक्षिणी तट और भीतरी लिये बड़ा प्रयत्न किया और ऐसा सुधार किया है भाग को जलवायु अच्छी है और जगहों में गरमी जिससे प्रजा का बोझ बहुत कुछ हलका होगया है । अधिक पड़ती है। यहाँ साल भर में २५ इंच वर्षा ४ प्रतिशत सूद पर कर्ज राज्य की ओर से प्रजा को होती है। राज्य की राजधानी भाव नगर है। दिया जाता है। यहाँ के शासक गोहल राजपूत हैं। यहाँ के राज्य का शासन और न्याय विभाग दोनों अलग शासकों ने समुद्री डाकुओं के नाश करने में ब्रिटिश हैं। राज्य के अन्दर कला कौशल सम्बन्धी एक गवर्नमेन्ट की सहायता की । इसलिये ब्रिटिश सर कालेज है जिसमें ५०० विद्यार्थी हैं। कई औषधालय कार ने यहाँ के शासकों से १८६० और १८६६ ई० हैं। प्रत्येक जिले में एक औषधलय हैं। इसके में संधि की। जिससे यह एक दूसरे के मित्र हो गए। अलावा ६ हाई स्कूल, एक लड़कियों का हाईस्कूल यहाँ के बर्तमान शासक हिन हाईनेस महाराजा रावल ३८५ मिडिल वर्नाक्यूलर और प्रायमरी स्कूल हैं। श्रीकृष्ण कुमार सिंह जी हैं। आप १९१९ में गद्दी पर यद्यपि इस राज्य की गणना भारतीय प्रधान राज्यों बैठे और १९३१ में आपने राज्य शासनकी बाग में नहीं है तो भी यह एक बड़ा प्रधान शाली राज्य डोर अपने हाथों में ली। है। राज्य की आर्थिक दशा बहुत अच्छी है। इस राज्य की प्रधानता इसके बन्दरगाहों के कारण सर प्रभाश कर पट्टानी राज्य को ओर से तीनों गोल है। यहाँ के बन्दरगाहों द्वारा साल में ३ करोड़ रु० का मेजों में सम्मिलित हुए । यहाँ के शासक सारेरनवर्ष माल बाहर से भीतर आता है। नवानगर बन्दरगाह में के हित के लिये अपना स्वार्थ त्यागन के लिये ६००० जहाज़ सालाना आते हैं और दूसरे बन्दर तत्पर हैं।
धंगधर राज्य धंगधर राज्य काठियवाड़ प्रायद्वीप के उत्तर में धंगधर के शासक झाला वंश के क्षत्रिय हैं । इस स्थित है । इसका क्षेत्रफल ११६७ वर्गमील और जन वंश का इतिहास १०९० से प्रारम्भ होता है। उस संख्या ८८,१६१ है। राज्य की सालाना आय समय हरपाल देव झाल ने गुजरात के राजा करन २५,००,००० २० है । राज्य का कुछ भाग पहाड़ी है सालंकी की बड़ी सहायता की। उसके बदले में और कुछ समतल है । समतल भाग में बहुत-सी छोटी सालंकी की हरपाल देव को २३०० गाँव इनाम दिये। छोटी नदियाँ बहती हैं । कई एक झोलें भी हैं । यह गाँव एक ही राज्य में थे। किन्तु अब