पृष्ठ:भूगोल.djvu/१५७

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१५६ पंजाबप्रान्त की रियासते hidina पटियाला राज्य पटियाया राज्य पंजाब के राज्यों में सर्व प्रधान रणजीतसिंह की ताकत बढ़ रही थी ब्रिटिश है। यह सिक्ख राज्यों में न केवल सब से बड़ा वरन् सरकार ने पटियाला महाराज से मित्रता की और सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह राज्य तीन भागों में पटियाला राज्य को अपनी संरक्षता में ले लिया। यह बटा है । सबसे बड़ा राज्य सतलज नदी के दक्षिण में सन्धि १८०९ में हुई थी। स्थित है। महाराज साहब सिंह के पुत्र महाराज करन सिंह यहाँ का क्षेत्रफल ५९४२ वर्गमील है और जन- ने अंग्रेजों को बड़ी सहायता की और कई बार युद्ध संख्या १७,००,००० है । इस राज्य की सालाना आमदनी पर गये उसके बदले में राज्य का विस्तार और भी १,५०,१८,००० रु० है। राज्य में एक लम्बा चौड़ा अधिक बढ़ गया उसके बाद महाराज नरेन्द्र सिंह ने मैदान है । सारे मैदान की भूमि उपजाऊ नहीं है १८५७ के बिद्रोह में अंग्रेजों का भरपूर साथ दिया । फिर भी अधिकांश भाग उपजाऊ है। इसका एक बहुत और ब्रिद्रोह को दबाने में श्राप ने अच्छा भाग लिया बड़ा भाग सरहिन्द और पश्चिमी जमुना नहर और यदि महाराज पटियाला बिद्रोह के समय में अंग्रेजों उसकी शाखाओं से सींचा जाता है । यहाँ बहुमूल्य के साथी न होते तो आज भारतवर्ष का इतिहास कुछ खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। यहाँ देवदारु, बलूत, और ही होता। यह महाराज पटियाला ही थे जिन्होंने चीड़ और बॉस के जङ्गल हैं। राज्य के ६० प्रतिशत दिल्ली को बिद्रोहियों के हाथों से छीना और उन्हें मार लोग खेती के काम में लगे हैं । गेहूँ, जौ ईख, कपास, भगाया। उसी के बदौलत पटियाला नरेश को ब्रिटिश तम्बाकू, मक्का, सरसों, अदरक और बालू यहाँ की साम्राज्य का प्रेमपात्र माना जाता है । कोई भी ऐसी मुख्य उपज है । तेंदुआ, साँभर, नील गाय, भाँति २ लड़ाई भारत सरकार ने नहीं लड़ी जिसमें पटियाला के हिरन, चीतल, गुरल भेड़िया आदि जानवर पाए नरेश का हाथ न रहा हो । सरहद, मिश्र, मेसोपोटा- जाते हैं । चिड़ियाँ भी भाँनि भाँति की पाई जाती हैं । मिया, गोली पोली आदि स्थानों में पटियाला के वीर पहाड़ियों की जलवायु बहुत अच्छी है। सैनिक लड़ाई पर गए । पटियाला राज्य को अपनी पटियाला राज्य के शासक अपने को चन्द्रवंशी सेना पर घमंड है। बताते हैं और कहते हैं कि हम महाराजा गज के भूतपूर्व महागज लैफ्टिनेन्ट जनरल हिज हाई वंशज हैं जिन्होंने सातवीं शताब्दी में गजनी, अफगा- नेस भूपेन्द्र सिंह जी० सी० एम० आई०, जी० सी० निस्तान की नींव डाली । गज के बाद चौथी पीढ़ी आई० ई०, जी० जो० वी० ओ०, जी० बी० ई० एल० में महाराज भट्टी हुए जिनके वैंशज आज पटियाला, एल० डी० ए० डी० सी० ने ब्रिटिश सरकार की जैसलमेर और करौली में शासक हैं। यद्यपि पटि- योरुपीय महायुद्ध में बड़ी सहायता की । आपने लग- याला नरेश सिक्ख धर्म को मानते हैं। तथापि भग २८,००० सैनिक और एक करोड़ से ज्यादा रु० वे राजपूत हैं। दिया । १९१८ में स्वयं आप सरहद पर तीसरे अफ- इस राज्य का नाम 'पटियाला' इसी राज्य की गान युद्ध के समय गये । आप को जीवन में बड़ी राजधानी पटियाला के नाम पर पड़ा है । इस नगर सफलता प्राप्त हुई। श्राप चैम्बर आफ प्रिन्सेज़ के की नींव १८ वीं सदी में राजा अलासिंह ने डाली। चान्सलर रहे | श्राप की मृत्यु गत २३ माच को हुई। जब सिक्खों ने सरहिन्द पर अधिकार जमाया तो राज्य के अन्दर प्राइमरी शिक्षा मुफ्त दी जाती पटियाला राज्य स्वतंत्र हो गया। है। महेन्द्र कालेज पंजाब के प्रथम श्रेणी के कालिजों महाराज साहबसिंह के समय में जब महाराणा में गिना जाता है। राज्य के अन्दर १५१ स्कूल और