१६ भूगोल [ वर्ष १६ ! मालियर-पत्थर पर की गई कारीगरी का एक नमूना बहुत लोहा निकाला जाता था। पर जब से सस्ता आने जाने के मार्ग-राज्य के उत्तरी भाग में ग्रेट विलायती लोहा आने लगा तबसे यह काम रुक गया । इंडियन पेनिनसुलारेलवे को प्रधान लाइन है । इग्मकी गंगापुर के पास अभ्रक बहुत है। राज्य में चूने का एक शाखा गोपाल से उज्जैन को और दूसरा शाग्वा पत्थर बहुत है । लेकिन निकाला कम जाता है पर बोना स बाग्न का जानी है । इस लाइन का बनाने के विन्ध्या वल से मकान बनाने का पत्थर बहुत निकलता निये राज्य ने रुपया उधार दिया था। उसका सूद है। किले की पुरानी इमारतें या लश्कर के नये मकान मिलता है। छोटी लाइन ग्वालियर में भिंड और मा. इसी पत्थर के वन हैं। पी० को जाती है। इसकी एक शाखा सबलगढ़ को इस राज्य का प्रधान कारवार सूनो कपड़ा जाता है । यह लाइन १८५ मीन लम्बी है । इसके उज्जैन में १८९८ ई० में एक सूती मिल स्थापित की बनाने में ४४ लाख रुपये खर्च हुये। लेकिन यह एम गई थी । चन्देरी में बड़ा बढ़िया कपड़ा बनता है। प्रदेश में होकर जातो है जहाँ अकाल के समय में मन्दसौर में कपड़ की छपाई अच्छी होती है । ग्वालि- इससे बड़ी मदद मिलती है । एक दो भाग ऐसे हैं। यर शहर में चीनी के बरतन अच्छे बनते हैं । शिवपुर जहाँ शिकार बहुत है । अजमेर से खडया को भाने की लकड़ी की खरीद और रंगाई मशहूर है। वाली बी० बी० एण्ड सी० आई० रेलवे मालवा प्रान्त व्यापार- इस राज्य में अनाज. तिलहन, कराम को पार करती है। इसकी एक शाग्या उज्जैन अफीम, देशो कपड़ा और घी बाहर अहमदाबाद को आती है। इसकी बड़ी लाइन भी राज्य को बम्बई, कानपुर और कलकत्ता भेजा जाता है । धातु पार करती है। ग्वालियर राज्य में लगभग २००० के बर्तन, मिट्टी का तेल, हथियार मशीनरी, और मील पक्की सड़कें हैं । आगरा से बम्बई जाने कागज बाहर से आता है। वाला पक्की सड़क के ११६ मील ग्वालियर राज्य :
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