पृष्ठ:भूगोल.djvu/१७६

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- अङ्क १-५] विजयनगरम राज्य १७५ विजयानगरम् को जमींदारी ११ ताल्लुक्कों में होती है। यहां के निवासी हिन्दू तेलगू हैं, राज्य की बँटी है। लगभग २,७५,००० एकड़ भूमि में खेती प्राय लगभग २७,००,००० रुपया है।

माहीकाँठा महीकांठा एजेन्सी में ईदर और ५१ दूसरे छोटे में समतल मैदान और बन हैं । इस भाग के अधि- राज्य हैं। इस एजेन्सी के उत्तर में उदयपुर और कांश भाग में खेती होती है। यहां की भूमि दो डूंगरपुर राज्य है। दक्षिण में खेड़ा जिला, पूर्व में प्रकार की है। (१) हलकी बलुई मिट्टी, (२) काली रेवाकांठा एजेन्सी और पश्चिम में बड़ौदा राज्य, मिट्टी । यहाँ की मुख्य नदियाँ सावरमती और हाथ- अहमदाबाद का जिला और पालनपुर एजेन्सी है। मती हैं। इनके सिवा स्वारी, मेशवा, माजम, वारक इसका क्षेत्रफल ३१२४ वर्गमील और जनसंख्या आदि छोटी-छोटी नदियाँ हैं। गनी तलाव, करमा २,०२,८११ है इस एजेन्सी की सालाना आय १४ बाबी, बाबसूर आदि यहां के बड़े सरोवर हैं और लाख है । इस एजेन्सी के आधे भाग में ईदर राज्य है। सिंचाई का काम देते हैं। ज्वार, बाजरा, तिल, उर्द, दूसरे ११ राज्य भी साधारण महत्व के हैं, शेष सभी मूंग, गेहूँ, जौ, चना, अफीम तथा ईख की उपज यहां छोटे-छोटे राज्य हैं। वहां राजपूत या कोलि ठाकुरों होती है। का राज्य है। इस एजेन्ती में (१) पोल, (२) दान्ता, यहां के प्रथम निवासी कोल और भिल जातियां (३) मालपुर, (४) मांसा, (५) मोहनपुर, (६) वार- सोरा, (७) पीठापुर, रनासन, पुराद्रा, खराल, गोरासर, थीं उसके पश्चात् सिंध राजपूतों ने यहां अपना अधिकार जमाया, खतोसाना, इलोल, अमालिपारा वालासना, डाभा, फिर मुसलमानों का अधिकार हुआ उसके बाद यहां मुग़लों का अधिकार रहा । वासना, सुदासन, रूपाल, दाधलिया, मागोरी, वरा- जब मरहठों का उत्थान हुआ तो मरहठों ने यहां गाम, साथम्ब, रमाज, डिरौल, खेरवाड़ा, करौली, अपना अधिकार जमाया. उसके बाद १८२० ई० से वक्टापुर, प्रेमपुर, डेढ़रौता, ताजपुरी, हायसत, लासना, यहां ब्रिटिश सरकार का अधिकार है। १८५७ ई० में भालूमना, लिखी, हरोल, सगूना बोलेन्द्र, तेजपुग, विसरौरा, पालेज, देहलौली, कासालपुरा, महमूदपुरा, सभी झगड़े शांत हो गए । कुछ गड़बड़ो यहां उत्पन्न हुई किन्तु फौज आने पर ईजपुरा रामपुरा, रानीपुरा, गाबट, टिम्बडंबरी, मोटा कोटरना आदि राज्य है। हिज हाईनेस महाराज ईदर को यहाँ से।५२,४२७ महीकांठा का उत्तरी-पूर्वी भाग ऊँचा, नीचा, रुपया सालाना मिलते हैं जिसमें सवे २०,३४० रुपया जङ्गली और पहाड़ी है और दक्षिणी-पश्चिमी भाग ब्रिटिश सरकार द्वारा बड़ौदा राज्य को देते हैं ।

जंजीरा राज्य बम्बई प्रान्त के कोनकन में जंजीरा एक छोटा यहां के शासक सुन्नी मुसलमान हैं और इनकी राज्य है। यहां के शासक एक अबीसीनियन हबशो उपाधि नवाब की है । नवाब के पास मुसलमानी प्रथा के वंशज हैं। इस राज्य ने मरहठों के आक्रमणों का के अनुसार गोद लेने की सनद है और ब्रिटिश बड़ी दिलेरी से सामना किया। जब ब्रिटिश के हाथ सरकार को यह राज्य किसी प्रकार का भी कर नहीं में कोनकन का प्रान्त आया तो उन्होंने भी इस राज्य देता है । सन् १८६८ तक यह राज्य स्वतन्त्र रहा, के शासन में कुछ रोक टोक नहीं डाली। किन्तु अदालत माल में कुछ गड़बड़ी पैदा होने के