१५४ भूगोल [वर्ष १६ के स्थान पर २०,००० रु० सालाना कर अंग्रेजों को लिया। राजा के मरने के बाद जब तक दूसरा राजा देना स्वीकार किया। नाबालिग रहा तब तक शोलापुर के कलक्टर प्रबन्ध राजा को गोद लेने का अधिकार है। १८६६ में करते रहे। फिर राजा को राज्य सौंपा गया। राजा शासन खराब होने के कारण राजा निकाल दिया गया दक्षिण भारत में उत्तम श्रेणी के सरदारों में गिने और शासन अंग्रेज़ सरकार ने अपने हाथ में ले जाते हैं ।
विजयनगरम् राज्य भारतवर्ष के प्राचीन राज्यों में से एक राज्य है। दे सके। इसपर वे अङ्गरेजों से लड़े और लड़ाई में यह ताल्लुका मद्रास प्रेसीडेन्सी के विजया नगरम् मारे गये। जिले में स्थित है। इसका क्षेत्रफल ३००० वर्गमील इसके बाद पुष्पती लोग देश में बहुत प्रसिद्ध हो है। यहां की जनसंख्या ८,४४,१६८ है। गये। सारा विजया नगरम् जिला इसी वंश वालों यहां के वर्तमान शासक अपने को माधन वर्मा के अधिकार में था। घराने के अगुवा को मिर्जा की सन्तान बताते हैं । वे ५९१ ई० में कृष्णा की घाटी और मनिया सुल्तान की पदवी मिलो और ईस्ट- में आकर बसे । इन्हीं के वंशज गोलकुण्डा राज्य के इंडिया कम्पनो ने १९ तोपों की मलामी का बड़े बड़े सरदार रहे । १६५२ में इनमें से एक 'पुष्पती हुक्म दिया। १८४८ में यह घटा कर १३ कर दी माधन वर्मा' विजयानगरम् पर अधिकार जमाया। विजया राम राज इसी वंश के राजा थे, जो पुसी के १८६२ में ब्रिटिश सरकार ने राजा की पदवी बड़े मित्र थे। इस राज्य ने अपना ऐसा सिक्का स्वीकार की । १८०२ में इस्तमरारी बन्दोबस्त हुआ तो जमाया कि उत्तरी सरकार में यह सबसे अधिक बल- पेशकश ७,५०,००० रुपया सालाना कर दिया गया। वान हो गया। पेडा विजया राम राज १७१० में गद्दी विजया राम गजपतीराज ने जब राज्य प्रबन्ध अपने पर बैठे । १७१८ में उन्होंने पाटनर को हटाकर हाथ में लिया तो राज्य की अच्छो उन्नति हुई। को राजधानी बनाया। उन्हीं के नाम राजा सचमुच राजा था, वह अपनी जगह के से राज्य का यह नाम रक्खा गया। इन्होंने यहां का लिये बड़ा ही योग्य था, वह अपना कार्य बड़ो चतु- किला बनवाया और फ्रांसीसियों से मित्रता कर लो। रता से करता था। १८६३ में उसको लेजिस्लेटिव उनके उत्तराधिकारी आनन्दराज ने अपनी नीति बदल काउन्सिल आफ इंडिया का मेम्बर बनाया गया। दी और विजया नगरम् जो फ्रांस के अधिकार में था ५८६४ में उसे महाराजा और हिज हाईनेस की पद- छीन कर अंगरेजों को दे दिया । राजा कर्नल फोर्ड के वियों मिली। १८७७ में के० सी० आई० ई० की साथ मासली पट्टम और महेन्द्री भी गया। लौटते पदवी मिली और राजा का नाम चीफ्स आफ इंडिया समय उसकी मृत्यु भी हो गई, उसके पुत्र विजया के बीच लिखा गया, महाराजा ने बहुत से कार्य राम राज गद्दी पर बैठे । इन्होंने पर्ल किमदा पब्लिक के फायदे के किये । उसने १०,००,००० रुपये और राजमहेन्द्री पर हमला किया। और अपना दान किया। जो दीनों की सहायता में खर्च किया अधिकार जमाया। दीवान सीताराम इस समय राज गया। १८७८ में महाराजा की मृत्यु हुई और काज देखते थे । उन्होंने राज्य को अच्छी उन्नति दी। आनन्द राज गद्दी पर बैठे। १८८१ ई० में आनन्द किन्तु १७९३ ई० में वे हटा दिये गये। उनके चले को राजा की पदवी मिली। १८८२ में राजा मद्रास जाने के बाद विजया राम राज को शासन करने में यूनिवर्सिटी के फेलो बनाये गये । १८८४ में वह कठिनता हुई और वे पेशकश (कर) अंगरेजों को न मद्रास काउन्सिल के गजटेड मेम्बर बनाये गये। गई। विजया नगरम्